2025 की शुरुआत शेयर बाजार के लिए आशाजनक रही, लेकिन इसके साथ ही कई जोखिम भी उभरकर सामने आए हैं। निवेशकों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस वर्ष बाजार से डबल डिजिट रिटर्न मिलने की संभावना है या नहीं।
बीते वर्षों में भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत रिटर्न दिया है, लेकिन 2024 की अंतिम तिमाही में बाजार ने झटके दिए, जिससे निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ी है। 2025 में बाजार के सामने छह प्रमुख चुनौतियां हैं, जिनसे सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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1. कंपनियों की आय पर निर्भरता
बाजार की मजबूती का एक प्रमुख आधार कंपनियों की आय होगी। 2025 की तीसरी तिमाही में अगर कंपनियों के परिणाम उम्मीदों से बेहतर रहे, तो यह बाजार में सकारात्मक रुझान ला सकता है। हालांकि, यदि ये परिणाम 2024 की दूसरी तिमाही की तरह निराशाजनक रहे, तो बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2024 में जीएसटी संग्रह में आई गिरावट यह संकेत देती है कि मांग कमजोर हो रही है। मांग में यह कमी अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय हो सकती है, जिससे बाजार पर दबाव बनेगा।
2. वैश्विक व्यापार में अस्थिरता
अमेरिकी व्यापारिक नीतियां, विशेष रूप से “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” जैसे अभियान, 2025 में वैश्विक व्यापार को अस्थिर कर सकती हैं। व्यापारिक टैरिफ में बढ़ोतरी और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारत जैसे विकासशील देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। इन नीतियों के चलते आयात लागत बढ़ सकती है, जिससे घरेलू कंपनियों की लाभप्रदता प्रभावित होगी।
3. ब्याज दरों की चुनौती
ब्याज दरें बाजार की गति को सीधे प्रभावित करती हैं। 2024 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती की थी, लेकिन 2025 में कटौती की गति धीमी रहने की संभावना है। महंगे कर्ज की वजह से कंपनियों का निवेश प्रभावित हो सकता है, जिससे मांग में कमी आ सकती है। यदि ब्याज दरों में कटौती में और देरी हुई, तो इसका सीधा नकारात्मक प्रभाव बाजार पर पड़ सकता है।
4. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन
2024 में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिया था। लेकिन यदि 2025 में इन कंपनियों का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा, तो यह बाजार के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन बाजार के निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे व्यापक बाजार पर भी असर पड़ेगा।
5. चीन की अर्थव्यवस्था का प्रभाव
चीन की अर्थव्यवस्था का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा। यदि चीन की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और कमोडिटी की कीमतें बढ़ीं, तो यह भारतीय कंपनियों के मार्जिन को प्रभावित कर सकता है। कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी के चलते उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे बाजार की वैल्यूएशन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
6. भूराजनीतिक तनाव
2025 में भूराजनीतिक मुद्दे बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष जैसे मुद्दे वैश्विक सप्लाई चेन को बाधित कर सकते हैं। यदि इन तनावों में वृद्धि हुई, तो महंगाई बढ़ने की संभावना है, जिससे बाजार पर दबाव बनेगा। ऐसे तनाव निवेशकों की धारणा को कमजोर कर सकते हैं और बाजार की अस्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं।
निवेशकों के लिए सुझाव
2025 में बाजार की अनिश्चितताओं को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहना होगा। इन जोखिमों का प्रभाव उन निवेशकों पर अधिक पड़ेगा, जो छोटी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह एक अवसर हो सकता है, लेकिन निवेश से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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