भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह Tata Group की होल्डिंग कंपनी Tata Sons से जुड़ी बड़ी खबरें सामने आ रही हैं। Shapoorji Pallonji Group (sp group), जिसके पास टाटा संस में 18.4% हिस्सेदारी है, अपनी हिस्सेदारी बेचने का दबाव बना रहा है। इस स्थिति ने न केवल टाटा ग्रुप की वित्तीय योजना को प्रभावित किया है, बल्कि कंपनी की आगामी योजनाओं, जैसे आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग), पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

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क्या है पूरा मामला?
Tata Sons, जो टाटा ग्रुप की सभी बड़ी कंपनियों को नियंत्रित करती है, एसपी ग्रुप के इस कदम से अप्रत्याशित दबाव का सामना कर रही है। 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने टाटा संस के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन शापुरजी पलोनजी ग्रुप और टाटा ग्रुप के बीच तनाव तब से बढ़ा है, जब दिवंगत सायरस मिस्त्री को 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था।
sp group ने ऊंचे ब्याज पर लगभग ₹22,000 करोड़ का कर्ज लिया है, जिसे मार्च 2025 तक चुकाना है। कर्ज चुकाने और अपने संचालन में नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए, ग्रुप अपनी टाटा संस की हिस्सेदारी को मोनेटाइज करना चाहता है।
Tata Sons का रुख
Shapoorji Pallonji Group के इस फैसले के जवाब में, टाटा संस कई विकल्पों पर विचार कर रही है। इनमें पब्लिक लिस्टिंग, आंशिक हिस्सेदारी बिक्री, या माइनॉरिटी स्टेक की खरीद शामिल हैं। हालांकि, इन विकल्पों पर तुरंत कोई कदम उठाए जाने की संभावना नहीं है क्योंकि इस पर टाटा ट्रस्ट और अन्य स्टेकहोल्डर्स के बीच आम सहमति बननी बाकी है।
गौरतलब है कि टाटा ट्रस्ट के पास टाटा संस की 66% हिस्सेदारी है, और वह कंपनी की सबसे बड़ी स्टेकहोल्डर है।
Tata Sons IPO पर असर?
Tata Sons के आईपीओ को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। 2022 में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने टाटा संस को एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) अपर लेयर एंटिटी के रूप में वर्गीकृत किया था। इस वर्गीकरण के तहत, टाटा संस को सितंबर 2025 तक आईपीओ लाना अनिवार्य है।
हालांकि, टाटा संस ने खुद को “डेट-फ्री” कर लिया है और आरबीआई से एनबीएफसी की श्रेणी से खुद को हटाने की अपील की है। आरबीआई ने फिलहाल इस अपील पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
Shapoorji Pallonji Group का कहना है कि टाटा संस की पब्लिक लिस्टिंग से न केवल ग्रुप को फायदा होगा, बल्कि टाटा ट्रस्ट और अन्य शेयरधारकों को भी लाभ होगा। ग्रुप आंतरिक संपत्ति मोनेटाइजेशन और अपनी अन्य कंपनियों को सूचीबद्ध करने पर भी जोर दे रहा है।
Tata Sons के लिए आगे की चुनौतियां
टाटा संस के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि टाटा संस को अपने सभी विकल्पों पर सावधानी से विचार करना होगा। कंपनी ने शीर्ष वित्तीय और कानूनी सलाहकारों की मदद लेनी शुरू कर दी है ताकि इस स्थिति का समाधान निकाला जा सके।
2017 में प्राइवेट कंपनी बनने के बाद, टाटा संस के शेयरों के फ्री ट्रांसफर की अनुमति नहीं है। कंपनी ने अपने आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन का हवाला देते हुए एसपी ग्रुप के शेयरों को गिरवी रखने का विरोध किया था।
अंतिम विचार
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी पर यह तनाव न केवल एसपी ग्रुप के कर्ज चुकाने की योजना को प्रभावित कर सकता है, बल्कि टाटा ग्रुप के दीर्घकालिक उद्देश्यों, जैसे आईपीओ और पब्लिक लिस्टिंग, पर भी असर डाल सकता है।
इस मामले में आरबीआई का निर्णय और टाटा ट्रस्ट की सहमति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में टाटा संस और शापुरजी पलोनजी ग्रुप के बीच यह विवाद कैसे सुलझता है।
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