पिछले पांच-छह सालों में सोना निवेशकों की पसंदीदा एसेट क्लास बना रहा। 2019 से शुरू हुए बुल रन ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह बुल रन थमने वाला है? क्या सोने की तेजी अब कमजोर पड़ सकती है? अगर आपने गोल्ड में निवेश कर रखा है या करने की सोच रहे हैं, तो आगे की रणनीति कैसी होनी चाहिए?
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की ताजा रिपोर्ट में इन सवालों के जवाब दिए गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, सोने की अब तक की तेजी के पीछे कई अहम वजहें रहीं — लेकिन अब वे वजहें अपने असर को पूरी तरह दिखा चुकी हैं। आगे की तेज़ी के लिए नए ट्रिगर्स की ज़रूरत होगी।

क्यों थम सकती है सोने की रफ्तार?
रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से अब तक गोल्ड की कीमतों को ऊपर ले जाने वाले मुख्य कारण थे:
- दुनिया में जियोपॉलिटिकल तनाव (युद्ध और संघर्ष)
- डॉलर इंडेक्स में गिरावट
- सेंट्रल बैंकों द्वारा भारी सोने की खरीद
- डॉलर से दूरी बनाने का ट्रेंड
इन सभी कारणों ने अब तक गोल्ड को सपोर्ट दिया और तेजी करवाई। लेकिन अब ये सभी फैक्टर्स बाजार में पहले से ही “प्राइस इन” हो चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कारणों से अब और ज्यादा तेजी की गुंजाइश बहुत कम रह गई है।
साथ ही, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी फिलहाल कमजोर हुई हैं। ऊंची कीमतों पर बाजार में थकावट के संकेत दिख रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल गोल्ड अब तक 30% से ज्यादा का रिटर्न दे चुका है, जबकि पिछले 25 सालों के आंकड़े देखें तो कॉमिक्स गोल्ड ने किसी भी एक साल में 32% से ज्यादा का रिटर्न कभी नहीं दिया।
अब निवेशकों की रणनीति क्या होनी चाहिए?
मोतीलाल ओसवाल ने निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा स्तरों से अगर गोल्ड को और ऊपर जाना है, तो किसी बड़े ट्रिगर की जरूरत होगी — जैसे कोई बड़ा आर्थिक संकट, नया युद्ध, या सेंट्रल बैंकों की नीतियों में अप्रत्याशित बदलाव। जब तक ऐसा कुछ नहीं होता, सोने में कंसोलिडेशन फेज़ आ सकता है — यानी कीमतें कुछ समय तक सीमित दायरे में रह सकती हैं या हल्की गिरावट भी आ सकती है।
ब्रोकरेज का मानना है कि नए निवेश से पहले थोड़ा रुकना बेहतर होगा। जल्दबाजी में कोई फैसला लेने की बजाय सोच-समझकर रणनीति बनानी चाहिए।
जिनके पास पहले से गोल्ड है, वे क्या करें?
रिपोर्ट में खासकर ट्रेडर्स के लिए सलाह दी गई है कि उन्हें अब हेजिंग यानी अपने निवेश को जोखिम से बचाने के उपाय करने चाहिए। अगर गोल्ड की कीमत ₹96,000 के नीचे बंद होने लगे, तो बाहर निकलने पर भी विचार किया जा सकता है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर भविष्य में कोई बड़ा ट्रिगर आता है, तो खरीददारी का मौका फिर से बन सकता है।
पहले के अनुमान और अब की स्थिति
मोतीलाल ओसवाल ने अपनी पिछली रिपोर्ट में गोल्ड के लिए ₹98,000 का लक्ष्य दिया था, जो अब पार हो चुका है। 2019 से अब तक ब्रोकरेज के सभी टारगेट्स सही निकले हैं। पहले उन्होंने ₹300–₹500 का शुरुआती लक्ष्य दिया, फिर उसे बार-बार रिवाइज किया और हाल ही में ₹98,000 का टारगेट रखा, जो भी हासिल हो चुका है।
अब जब गोल्ड अपने ऊंचे स्तरों पर पहुंच चुका है और तेजी की रफ्तार धीमी होती दिख रही है, तो निवेशकों को जल्दबाजी के बजाय रणनीति से काम लेना चाहिए।
निष्कर्ष
सोने में आई हालिया तेजी ने कई निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। अगर आपने भी गोल्ड में निवेश किया है, तो यह समय अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का है। यह रिपोर्ट सिर्फ जानकारी के लिए है। किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें।
क्या आपको लगता है कि सोने की तेजी अब खत्म हो चुकी है? क्या आप अपने निवेश को जारी रखेंगे या निकालने पर विचार करेंगे? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं।
F.A.Q.
– क्या सोने में तेजी अब सच में खत्म हो गई है?
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक की तेजी के पीछे के कारण पहले ही असर दिखा चुके हैं। अब नई तेजी के लिए बड़े ट्रिगर्स की जरूरत होगी।
– अगर मेरे पास पहले से गोल्ड में निवेश है तो क्या करना चाहिए?
रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि मौजूदा निवेश को हेज करना चाहिए और अगर सोना ₹96,000 के नीचे बंद होता है तो एग्जिट पर भी विचार किया जा सकता है।
– क्या अभी गोल्ड में नया निवेश करना सही रहेगा?
फिलहाल तेजी थमती दिख रही है और बाजार में थकावट के संकेत हैं। ऐसे में तुरंत निवेश करने से पहले सोच-समझकर और अपने सलाहकार से सलाह लेकर ही कदम उठाना सही रहेगा।
– भविष्य में गोल्ड में फिर तेजी कब आ सकती है?
रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई बड़ा आर्थिक संकट, युद्ध या सेंट्रल बैंकों की नीतियों में बदलाव जैसे नए ट्रिगर्स आते हैं, तो सोना फिर तेजी पकड़ सकता है।
– सोने ने अब तक कितना रिटर्न दिया है?
इस साल गोल्ड अब तक 30% से ज्यादा का रिटर्न दे चुका है। पिछले 25 सालों में किसी भी एक साल में यह रिटर्न 32% से ज्यादा नहीं गया।
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