पिछले कई महीनों से भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। विशेष रूप से जनवरी 2024 में बाजार ने भारी गिरावट दर्ज की है। इस साल के पहले महीने में ही सेंसेक्स और निफ्टी 3% से अधिक लुढ़क चुके हैं। इस गिरावट के पीछे विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली, कमजोर कॉर्पोरेट परिणाम, और शेयरों के उच्च वैल्यूएशन जैसे कारक प्रमुख रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले दिनों में भी बाजार में अनिश्चितता बरकरार रह सकती है। हालाँकि, फरवरी महीने को लेकर विश्लेषकों में कुछ आशावाद है, जो चार प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगा।
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जनवरी में शेयर बाज़ार में गिरावट के मुख्य कारण
- एफआईआई की बिकवाली: जनवरी में विदेशी निवेशकों ने लगातार भारतीय बाजार से पूँजी निकाली। यह प्रवृत्ति वैश्विक ब्याज दरों में वृद्धि और अमेरिकी बॉन्ड पर रिटर्न में सुधार के कारण देखी गई।
- उच्च वैल्यूएशन: भारतीय शेयर बाजार लंबे समय से उच्च वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहा था, जिससे निवेशकों में लाभ बुक करने की प्रवृत्ति बढ़ी।
- कॉर्पोरेट आय में निराशा: कई कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार की अपेक्षाओं से कम रहे, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया।
फरवरी में बाजार की दिशा तय करने वाले चार प्रमुख कारक
फरवरी महीने में बाजार के प्रदर्शन को चार घटनाएँ प्रभावित कर सकती हैं:
1. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति
28-29 जनवरी को हुई अमेरिकी फेड की बैठक के नतीजे (29 जनवरी को घोषित) बाजार के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह बैठक डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पहली है। फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती या स्थिरता का फैसला वैश्विक बाजारों, विदेशी निवेश, और रुपये की कीमत को प्रभावित करेगा। अमेरिकी नीतियों में बदलाव भारतीय बाजार में एफआईआई के निवेश को सीधे प्रभावित करते हैं।
2. भारत का बजट 2025
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले बजट में सरकार की आर्थिक प्राथमिकताएँ स्पष्ट होंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, वित्तीय घाटे को 4.5% के आसपास रखना और राजस्व तथा व्यय में संतुलन बनाना सरकार के लिए चुनौती होगी। बजट में बुनियादी ढाँचे, विनिर्माण, और कर नीतियों से जुड़े ऐलान बाजार को गति दे सकते हैं। इसके अलावा, महंगाई नियंत्रण और रोजगार बढ़ाने के उपाय भी निवेशकों का ध्यान खींचेंगे।
3. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक
5-7 फरवरी को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक होनी है। यह गवर्नर संजय मल्होत्रा के कार्यकाल में पहली बैठक है, जिसमें रेपो रेट और महंगाई दर के पूर्वानुमान पर निर्णय लिए जाएँगे। वर्तमान में, भारत में महंगाई लक्ष्य (4±2%) के दायरे में है, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों के मद्देनजर आरबीआई की रणनीति बाजार के लिए अहम होगी।
4. दिल्ली विधानसभा चुनाव
दिल्ली में 5 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम (8 फरवरी को घोषित) राजनीतिक स्थिरता के संकेत दे सकते हैं। आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण यह चुनाव बाजार की मनोवैज्ञानिक दिशा तय करेगा। राजनीतिक अनिश्चितता या स्थिरता का प्रभाव निवेशकों के रुख पर पड़ सकता है।
शेयर बाज़ार में निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशक फरवरी में इन चार कारकों पर नजर रखें:
- अंतर्राष्ट्रीय संकेत: अमेरिकी फेड के फैसले और वैश्विक बाजारों की प्रतिक्रिया।
- बजट के प्रावधान: करों, व्यय, और आर्थिक विकास से जुड़े ऐलान।
- आरबीआई की नीतिगत दिशा: ब्याज दरों और तरलता पर निर्णय।
- राजनीतिक परिणाम: दिल्ली चुनाव के नतीजे से उपजने वाला बाजारी मूड।
जनवरी में गिरावट के बावजूद, फरवरी में बाजार के पास पलटवार का मौका है। हालाँकि, यह पूरी तरह से वैश्विक आर्थिक स्थितियों, सरकारी नीतियों, और राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर करेगा। निवेशकों को छोटी अवधि में उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए, साथ ही दीर्घकालिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। बजट और आरबीआई की नीतियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था की राह तय करेंगी, जिसका प्रभाव शेयर बाजार पर सीधे दिखेगा।
इसके अलावा, 1 फरवरी को बजट के विश्लेषण और बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए निवेशक विशेषज्ञों की राय और वास्तविक समय के अपडेट पर निर्भर रह सकते हैं। फरवरी का महीना बाजार के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, जहाँ सतर्कता और सूचना का समय पर उपयोग ही सफलता की कुंजी होगी।
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