2025 में सेंसेक्स की बड़ी गिरावट का अनुमान! HSBC की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

2024 में भारतीय शेयर बाजार ने काफी उतार-चढ़ाव का सामना किया। साल की शुरुआत में बाजार ने अपना सर्वकालिक उच्चतम स्तर छुआ, लेकिन अक्टूबर के बाद बिकवाली का दौर शुरू हुआ, जिससे बाजार में गिरावट दर्ज की गई।

अब 2025 के लिए बाजार के रुझानों पर चर्चा हो रही है, जिसमें HSBC बैंक की एक रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में सेंसेक्स के 2025 के लक्ष्य को कम करने की बात कही गई है। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।

HSBC's shocking prediction of a huge drop in Sensex in 2025

HSBC का 2025 आउटलुक और सेंसेक्स का लक्ष्य

HSBC ने अपनी 2025 की रिपोर्ट में भारतीय बाजारों के लिए सेंसेक्स का लक्ष्य 90520 से घटाकर 85990 कर दिया है। यह कटौती लगभग 5000 अंकों की है। सेंसेक्स के मौजूदा स्तर 77970 से करीब 10% रिटर्न की संभावना जताई गई है। इसके साथ ही HSBC ने भारतीय बाजारों की रेटिंग को ‘ओवरवेट’ से घटाकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है।

शेयर बाज़ार में टारगेट प्राइस कटौती के पीछे प्रमुख कारण

HSBC ने भारतीय बाजारों के लक्ष्य में कटौती के कई कारण बताए हैं:

  1. हाई वैल्यूएशन:
    भारतीय शेयर बाजार अन्य उभरते बाजारों की तुलना में महंगे हैं। उच्च अर्निंग मल्टीपल्स (Earning Multiples) के चलते शेयर की कीमतें काफी ऊंची हो चुकी हैं। इससे निवेशकों के लिए नए निवेश का आकर्षण कम हो रहा है।
  2. सिलिकल स्लोडाउन (Cyclical Slowdown):
    लंबे समय तक आर्थिक तेजी के बाद अक्सर सुस्ती का दौर आता है, जिसे सिलिकल स्लोडाउन कहते हैं। 2020 के बाद से भारतीय बाजारों में तेज बढ़त देखने को मिली थी, लेकिन अब यह बाजार धीरे-धीरे सुस्ती की ओर बढ़ रहे हैं।
  3. अर्निंग स्लोडाउन:
    कंपनियों के तिमाही नतीजे भी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे हैं। बैंकिंग और आईटी सेक्टर, जो भारतीय बाजार के मुख्य आधार हैं, प्रदर्शन में पीछे रह रहे हैं। बैंकिंग सेक्टर कम डिपॉजिट ग्रोथ और मॉनेटरी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जबकि आईटी सेक्टर ग्लोबल मांग में कमी के कारण प्रभावित हुआ है।
  4. सरकारी पूंजीगत व्यय (Capex) में गिरावट:
    सरकार का पूंजीगत व्यय बाजार में विकास का प्रमुख कारक होता है। पिछले कुछ तिमाहियों में सरकार ने अपने पूंजीगत व्यय में कमी की है, जिससे बाजार में तेजी की उम्मीदें कम हो गई हैं।
  5. वैश्विक अनिश्चितता:
    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, अमेरिकी बाजार की अनिश्चितता और विदेशी निवेश (Foreign Institutional Investment) में कमी भी भारतीय बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।

एशियाई बाजारों पर HSBC का दृष्टिकोण

HSBC ने अन्य एशियाई बाजारों पर सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया है। चीन और हांगकांग के बाजारों को ‘ओवरवेट’ रेटिंग दी गई है, जबकि दक्षिण कोरिया की रेटिंग ‘अंडरवेट’ से बढ़ाकर ‘न्यूट्रल’ कर दी गई है। यह इंगित करता है कि एशियाई बाजारों में विविध प्रदर्शन होने की संभावना है।

हालांकि 2025 में भारतीय बाजारों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, लेकिन मध्यम अवधि में स्थिर और सकारात्मक रिटर्न मिलने की संभावना बनी हुई है। निवेशकों को मौजूदा बाजार स्थितियों में सावधानीपूर्वक निवेश करना चाहिए और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

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  • Manoj Talukdar

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