भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों से देखी जा रही गिरावट और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों के मन में एक बड़ा सवाल उभर रहा है: “क्या अभी भारतीय बाजार में खरीदारी का सही समय आ गया है?” इस साल की शुरुआत से अब तक बाजार लगभग 5% नीचे आ चुका है, और प्रमुख सूचकांक अपने चरम स्तर से 16-17% नीचे हैं। ऐसे में, वैश्विक वित्तीय संस्थान नोमूरा की ताज़ा रिपोर्ट ने इस बहस को नई दिशा दी है।

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नोमूरा का भारत बाज़ार पर ‘ओवरवेट’ स्टैंस
नोमूरा ने हाल ही में एशियाई बाजारों (जापान को छोड़कर) पर अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत को ‘ओवरवेट’ (अधिक भारित) और चीन को ‘न्यूट्रल’ (तटस्थ) रेटिंग दी गई है। ‘ओवरवेट’ का अर्थ है कि संस्था भारतीय बाजार में निवेश बढ़ाने की सलाह देती है। हालाँकि, यह सीधे “खरीदें” का संकेत नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत में दीर्घकालिक संभावनाएँ आकर्षक हैं।
चीन vs भारत: तात्कालिक वृद्धि vs दीर्घकालिक स्थिरता
नोमूरा का मानना है कि चीन अगले कुछ वर्षों में अपने 2025 के आर्थिक लक्ष्यों को तेज़ी से प्राप्त कर सकता है, खासकर एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में। चीन में हालिया घटनाएँ, जैसे कि ‘डीप सीक’ (DeepSeek) द्वारा एनवीडिया के कारोबार को चुनौती, से उभरती प्रतिस्पर्धा ने चीनी बाजार में नई गतिशीलता पैदा की है। लेकिन नोमूरा के अनुसार, चीन की यह तेज़ी “अस्थायी” हो सकती है। दीर्घकाल में, चीन को जनसांख्यिकीय चुनौतियाँ, निर्यात पर निर्भरता, और सरकारी नियंत्रण जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ेगा।
इसके विपरीत, भारत में “तुलनात्मक लाभ” (कंपैरेटिव एडवांटेज) मौजूद हैं:
- युवा जनसंख्या और घरेलू खपत: भारत की बढ़ती मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति अर्थव्यवस्था को गति देती है।
- निर्माण और बुनियादी ढाँचे में निवेश: सरकारी योजनाएँ और निजी क्षेत्र की भागीदारी विकास को बढ़ावा दे रही हैं।
- डिजिटल परिवर्तन: यूपीआई, ई-कॉमर्स, और स्टार्टअप इकोसिस्टम ने भारत को वैश्विक निवेशकों की पसंद बनाया है।
क्या भारतीय बाजार सस्ते हैं?
नोमूरा ने पिछले वर्ष एक महत्वपूर्ण संकेतक की ओर इशारा किया था: “जब भारतीय बाजार का P/E (Price-to-Earnings) अनुपात 21 के स्तर पर पहुँचेगा, तो खरीदारी का समय आ सकता है।” पिछले दो वर्षों में, यह अनुपात 22 के स्तर पर था, जो अब घटकर 21 के करीब पहुँच गया है। यह गिरावट बाजार को “सस्ता” बना सकती है। हालाँकि, नोमूरा चेतावनी देता है कि अभी और गिरावट संभव है, क्योंकि:
- वैश्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरें: अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियाँ भारत सहित उभरते बाजारों को प्रभावित करती हैं।
- तरलता की कमी: बैंकिंग क्षेत्र में नकदी की किल्लत निवेश को प्रभावित कर रही है।
- कॉर्पोरेट मुनाफे पर दबाव: महंगाई और माँग में कमी से कंपनियों की आय प्रभावित हुई है।
सावधानियाँ और अवसर
नोमूरा का कहना है कि भारत में निवेश के लिए “सतर्क आशावाद” की आवश्यकता है। बाजार में प्रवेश करने से पहले निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- अमेरिकी पूँजी प्रवाह: अमेरिका में ब्याज दरों में बदलाव वैश्विक निवेश को प्रभावित करेगा।
- चीनी अर्थव्यवस्था का प्रभाव: चीन की वसूली या मंदी से एशियाई बाजारों पर असर पड़ सकता है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ: बेरोज़गारी, कृषि संकट, और राजकोषीय घाटा विकास दर को प्रभावित कर सकते हैं।
निष्कर्ष: संभावनाएँ और जोखिम का संतुलन
नोमूरा की रिपोर्ट भारत के प्रति आशावाद को सही ठहराती है, लेकिन यह निवेशकों से “धैर्य” और “विवेक” की अपेक्षा भी करती है। बाजार में गिरावट के बावजूद, दीर्घकालिक नज़रिए वाले निवेशकों के लिए यह समय उचित मूल्य पर अच्छे शेयरों को चुनने का हो सकता है। हालाँकि, अमेरिकी मौद्रिक नीति, चीन-अमेरिका व्यापार तनाव, और घरेलू आर्थिक संकेतकों पर नज़र रखना आवश्यक है।
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Disclaimer:- “sharemarketin.com पर हम यह स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि हम किसी भी खबर या लक्ष्य को सही होने का दावा नहीं कर रहे हैं। इस वेबसाइट पर दी जाने वाली जानकारियाँ हमारी शेयर मार्किट की लम्बे समय का अनुभव के आधार पर हैं। यदि आप किसी शेयर में निवेश करना चाहते हैं, तो कृपया उसे स्वयं विश्लेषण करें और अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह प्राप्त करें, इसके बाद ही किसी निवेश के फैसले पर विचार करें।”