शेयर बाजार के चर्चित चेहरे केतन पारेख फिर से सुर्खियों में हैं। हाल ही में, सेबी (SEBI) ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। आरोप है कि उन्होंने 55 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की, जिसे फ्रीज कर दिया गया है। साथ ही, उनके बैंक खाते भी जब्त कर लिए गए हैं। सेबी ने उन्हें “आदतन अपराधी” करार दिया है। आइए जानते हैं उनकी नई चाल और 25 साल पुरानी विवादित कहानी के बारे में।
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शेयर बाजार में शुरुआती सफर: ‘नया बिग बुल’
1999-2000 के दौरान, केतन पारेख ने शेयर बाजार में एक नई पहचान बनाई। उन्हें “नया बिग बुल” कहा जाने लगा, क्योंकि जिन शेयरों में वह निवेश करते थे, उनके दाम आसमान छूने लगते थे। खासकर, टीएमटी (टेक्नोलॉजी, मीडिया और टेलीकॉम) सेक्टर के शेयरों में उन्होंने भारी निवेश किया।
केतन पारेख ने इन सेक्टर्स के 10 खास शेयरों की सूची तैयार की, जिन्हें “के-10” शेयर कहा गया। उन्होंने सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिए इन शेयरों के दाम कृत्रिम रूप से बढ़ाए। लेकिन यह तेजी लंबे समय तक टिक नहीं पाई।
2001 में, यह घोटाला उजागर हुआ, जब उन पर माधवपुरा मर्केंटाइल बैंक के फंड्स के दुरुपयोग का आरोप लगा।
केतन पारेख को पहली बार प्रतिबंध और सजा
2003 में, सेबी ने केतन पारेख को 14 साल के लिए ट्रेडिंग से प्रतिबंधित कर दिया। ऐसा लगा कि उनकी कहानी यहीं खत्म हो जाएगी। लेकिन 2013 में, वह फिर किसी अन्य कंपनी के नाम पर ट्रेडिंग करते पकड़े गए।
2021 से 2023 के बीच, केतन पारेख ने एक नई रणनीति अपनाई। इस बार उन्होंने सिंगापुर के रोहित सालगांवकर की मदद ली, जो एक अमेरिकी फंड के लिए भारतीय शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर रहे थे।
रोहित ने केतन पारेख को अंदरूनी जानकारी (Insider Information) साझा की। इसके बाद, कोलकाता के 121 ब्रोकर्स के नेटवर्क तक यह जानकारी पहुंचाई गई। इन ब्रोकर्स ने पहले से ही खरीद-बिक्री कर 66 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा कमाया।
सेबी की कार्रवाई
सेबी ने इस घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए ट्रेडिंग पैटर्न की गहराई से जांच की। सबूत मिलने के बाद, सेबी ने तुरंत कार्रवाई की:
- केतन पारेख की संपत्ति फ्रीज कर दी गई।
- अवैध मुनाफे को जब्त करने का आदेश दिया गया।
- कोलकाता के ब्रोकर्स और रोहित सालगांवकर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई।
सेबी की सतर्कता और निवेशकों का भरोसा
सेबी की इस कार्रवाई ने एक बड़े घोटाले को रोकने में अहम भूमिका निभाई। यह घटना निवेशकों को सतर्क रहने और बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने का संदेश देती है।
केतन पारेख की कहानी शेयर बाजार में अवसर और धोखाधड़ी के बीच के संघर्ष को उजागर करती है। उनकी हर नई चाल यह साबित करती है कि सेबी और अन्य नियामक संस्थाओं का सतर्क रहना कितना जरूरी है।
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