जेपी मॉर्गन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में टैरिफ नीतियों के कारण वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल की आशंका है। इसका सीधा प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है। रिपोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित नीतियों, महंगाई, और अमेरिका-चीन व्यापार तनाव जैसे कारकों को प्रमुख जोखिम बताया गया है। आइए, इन पहलुओं को विस्तार से समझें।

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टैरिफ: वैश्विक बाजारों के लिए बड़ी चुनौती
ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने की नीति वैश्विक व्यापार को प्रभावित करेगी। टैरिफ से आयातित सामान महंगा होगा, जिससे अमेरिका और अन्य देशों में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। भारत जैसे देश, जो अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध रखते हैं, को भी इसका असर झेलना पड़ेगा। विशेषज्ञ संदीप ग्रोवर के अनुसार, टैरिफ एक “वार्ता उपकरण” है, जिसके माध्यम से अमेरिका अपने हित साधने की कोशिश करेगा।
भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव
2024 में भारतीय बाजार ने अब तक लगभग 9% का रिटर्न दिया है, लेकिन टैरिफ और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते यह प्रदर्शन 2025 में धीमा हो सकता है। एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) लगातार पूंजी निकाल रहे हैं, जबकि घरेलू निवेशक एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए बाजार को सहारा दे रहे हैं। हर महीने लगभग 25,000 करोड़ रुपये की एसआईपी आवक बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है।
महंगाई: घरेलू और वैश्विक चुनौती
- भारत में महंगाई: आरबीआई का लक्ष्य (4±2%) के बजाय महंगाई लगातार ऊंची बनी हुई है। इससे मध्यम वर्ग की बचत और खपत प्रभावित हुई है। सरकार ने बजट 2024 में 7 लाख से 12 लाख तक की आय को टैक्स-मुक्त करके खपत बढ़ाने की कोशिश की है।
- अमेरिका में महंगाई: फेडरल रिजर्व का लक्ष्य 2% है, लेकिन टैरिफ और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण यह बढ़ सकती है। इससे ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम होगी, जो वैश्विक निवेश को प्रभावित करेगा।
राजनीतिक और भू-राजनीतिक जोखिम
- ट्रंप की नीतियाँ: ट्रंप के “ट्वीट्स, टैरिफ, और टैक्स” पर आधारित नीतियों से बाजारों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। उनके द्वारा चीन और मेक्सिको पर प्रस्तावित टैरिफ वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ा सकते हैं।
- भू-राजनीतिक तनाव: इजराइल-हमास और रूस-यूक्रेन जैसे संघर्षों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया है। इनके समाधान से ही बाजारों में स्थिरता आ सकती है।
अमेरिका-चीन व्यापार संबंध
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। चीन में एफआईआई का पूंजी प्रवाह बढ़ रहा है, जबकि भारत से पूंजी निकल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते वैश्विक बाजारों को स्थिर कर सकते हैं।
निवेशकों के लिए सलाह
- विविधीकरण: बाजारों में अस्थिरता के दौरान पोर्टफोलियो को विविध बनाए रखें।
- एसआईपी जारी रखें: घरेलू निवेशकों के लिए एसआईपी दीर्घकालिक संकटों से निपटने का प्रभावी तरीका है।
- ग्लोबल अपडेट्स पर नजर: अमेरिकी नीतियों, चीन के आर्थिक आंकड़ों, और तेल की कीमतों पर नजर रखें।
निष्कर्ष
2025 में वैश्विक बाजारों की दिशा टैरिफ, महंगाई, और राजनीतिक निर्णयों पर निर्भर करेगी। भारत के लिए घरेलू खपत बढ़ाना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना महत्वपूर्ण होगा। निवेशकों को सतर्क रहते हुए लचीली रणनीति अपनानी चाहिए। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट एक चेतावनी के साथ अवसर भी दर्शाती है – सही समय पर सही निर्णय से बाजार की चुनौतियों को अवसर में बदला जा सकता है।
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