शेयर बाजार को लेकर आम धारणा यही है कि यह आम निवेशकों के लिए जोखिम से भरा होता है। लेकिन जब कोई भरोसेमंद नाम ही बाजार को मैनिपुलेट करने लगे, तो यह न सिर्फ निवेशकों के लिए धोखा होता है, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। ऐसा ही कुछ हुआ है देश के मशहूर मार्केट एक्सपर्ट संजीव भसीन के साथ, जिन्हें SEBI ने ‘पंप एंड डंप’ स्कैम में संलिप्त पाए जाने के बाद बाजार से बैन कर दिया है।

क्या होता है ‘पंप एंड डंप’ स्कैम?
‘पंप एंड डंप’ शेयर बाजार में धोखाधड़ी की एक पुरानी लेकिन खतरनाक रणनीति है। इसमें किसी भी स्टॉक को पहले जानबूझकर बड़ी मात्रा में खरीदा जाता है (Pump), फिर उस स्टॉक को लेकर सोशल मीडिया, न्यूज चैनल्स या किसी भरोसेमंद स्रोत के जरिए झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाकर उसकी कीमत ऊपर पहुंचाई जाती है। जब कीमत अपने चरम पर होती है, तब उसे बेचा जाता है (Dump)। इस पूरे खेल में आम निवेशकों का पैसा फंस जाता है और स्कैमर्स भारी मुनाफा कमाकर निकल जाते हैं।
SEBI की जांच और खुलासे
SEBI को सितंबर-अक्टूबर 2023 के दौरान तीन गंभीर शिकायतें मिलीं, जिसमें कहा गया कि कुछ लोग टीवी और सोशल मीडिया पर स्टॉक टिप्स के जरिए मार्केट मैनिपुलेशन कर रहे हैं। इसके बाद जनवरी 2020 से जून 2024 तक की अवधि की जांच शुरू हुई। जून 2024 में NCR क्षेत्र में कई जगहों पर सर्च और सीज ऑपरेशन चलाया गया।
जांच के दौरान संजीव भसीन और उनके 11 सहयोगियों के मोबाइल, लैपटॉप, WhatsApp चैट्स, कॉल रिकॉर्डिंग्स और ऑडियो क्लिप्स से ऐसे कई सबूत मिले, जो ‘पंप एंड डंप’ स्ट्रेटजी को साबित करते हैं। SEBI के मुताबिक भसीन और उनकी टीम ने इस स्कैम से करीब ₹11.37 करोड़ का अवैध मुनाफा कमाया।
किस तरह किया गया मैनिपुलेशन?
भसीन और उनके सहयोगियों – जिनमें ललित भसीन, आशीष कपूर, राजीव कपूर, जगत सिंह, प्रवीण गुप्ता प्रमुख हैं – ने पहले कुछ स्टॉक्स को अपने या रिश्तेदारों के नाम पर खरीदा। फिर टीवी चैनलों और Telegram ग्रुप्स पर उन शेयरों की बाय रिकमेंडेशन दी गई। जब आम निवेशक उन पर भरोसा करके निवेश करने लगे, तो वे तुरंत अपने शेयर बेचकर मुनाफा कमा गए।
चौंकाने वाली बात यह है कि भसीन ने IIFL Securities के नाम और अपनी मीडिया मौजूदगी का इस्तेमाल करते हुए खुद को एक विश्वसनीय एक्सपर्ट की तरह पेश किया, जबकि वे SEBI के रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट या इन्वेस्टमेंट एडवाइजर नहीं थे।
SEBI का एक्शन
SEBI ने इस पूरे कांड को PFUTP (Prohibition of Fraudulent and Unfair Trade Practices) का उल्लंघन माना और एक्स-पार्टी एंट्री ऑर्डर जारी कर दिया। इसके तहत:
- संजीव भसीन और उनकी टीम को किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
- सभी आरोपियों के बैंक और डीमैट अकाउंट फ्रीज़ कर दिए गए हैं।
- बिना SEBI की अनुमति के कोई डेबिट नहीं होगा, हालांकि क्रेडिट की अनुमति दी गई है।
- 15 दिनों के भीतर संपत्तियों की पूरी जानकारी SEBI को सौंपने का आदेश भी दिया गया है।
- म्यूचुअल फंड्स और अन्य निवेशों में रिडेम्पशन पर भी रोक लगा दी गई है।
संजीव भसीन का प्रोफाइल
संजीव भसीन का जन्म 25 अक्टूबर 1962 को नई दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम ऑनर्स किया। वे HB ग्रुप, डचिंग बैंक, ICICI डायरेक्ट और अंत में IIFL Securities में काम कर चुके हैं। IIFL में वे 2015 से डायरेक्टर और 2022 से सलाहकार रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी अनुमानित नेटवर्थ ₹5 करोड़ और वार्षिक आय ₹50 लाख है।
निष्कर्ष
SEBI की यह सख्त कार्रवाई शेयर बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों के हितों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह मामला एक कड़वा सबक है कि भले ही कोई चेहरा टीवी पर बार-बार दिखे, लेकिन बिना ठोस रिसर्च और SEBI रजिस्ट्रेशन के किसी की सलाह पर आंख मूंदकर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।
F.A.Q.
– पंप एंड डंप स्ट्रेटजी क्या होती है?
यह शेयर बाजार में धोखाधड़ी की एक तकनीक है जिसमें कुछ लोग किसी शेयर को पहले भारी मात्रा में खरीदते हैं (Pump), फिर मीडिया या सोशल मीडिया के जरिए उसकी कीमत को बढ़ावा देते हैं और जब कीमत ऊँचाई पर पहुँच जाती है, तो उसे बेचकर (Dump) मुनाफा कमा लेते हैं। इससे आम निवेशक नुकसान में फंस जाते हैं।
– संजीव भसीन कौन हैं और उनका नाम इस केस में कैसे आया?
संजीव भसीन एक प्रसिद्ध मार्केट एक्सपर्ट और IIFL Securities से जुड़े रहे हैं। टीवी चैनलों पर उनकी स्टॉक सलाह को लोग बहुत मानते थे। SEBI की जांच में पता चला कि वे और उनके साथी ‘पंप एंड डंप’ स्कीम में शामिल थे और उन्होंने इससे करोड़ों का अवैध मुनाफा कमाया।
– SEBI ने संजीव भसीन के खिलाफ क्या एक्शन लिया है?
SEBI ने संजीव भसीन और उनके 11 सहयोगियों पर मार्केट में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट ट्रेडिंग से प्रतिबंध लगा दिया है। उनके बैंक और डीमैट अकाउंट्स फ्रीज कर दिए गए हैं और उन्हें अपनी सारी संपत्ति की जानकारी 15 दिनों में SEBI को देनी होगी।
– क्या संजीव भसीन SEBI रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट थे?
नहीं, संजीव भसीन SEBI के रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट या इन्वेस्टमेंट एडवाइजर नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने IIFL ब्रांड के नाम पर स्टॉक टिप्स दीं, जिससे लोग उनकी सलाह पर भरोसा करके निवेश करते थे।
– इस केस से आम निवेशकों को क्या सबक मिलता है?
इस केस से सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी भी स्टॉक सलाह को आंख मूंदकर नहीं मानना चाहिए, चाहे वो टीवी पर आए या सोशल मीडिया पर। हमेशा सलाह देने वाले की SEBI रजिस्ट्रेशन और विश्वसनीयता की जांच करें और खुद रिसर्च करना सबसे जरूरी है।
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