पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार ने पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs) को सिर्फ बेचने के बजाय उन्हें मुनाफे में लाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। नतीजा यह हुआ है कि एक समय पर नजरअंदाज की जाने वाली ये सरकारी कंपनियां आज निवेशकों की पहली पसंद बनती जा रही हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बीएसई पीएसयू इंडेक्स, जो कोविड के बाद हर साल औसतन 32% की रफ्तार से बढ़ा है, जबकि निफ्टी 50 ने महज 19% का रिटर्न दिया है। यह फर्क दर्शाता है कि अगर सही दिशा और समर्थन मिले तो पब्लिक सेक्टर भी निजी कंपनियों को टक्कर दे सकता है।

सरकार ने बदली रणनीति
पहले की सरकारों पर यह आरोप लगता रहा है कि वे घाटे में चल रही पीएसयू कंपनियों को सिर्फ बेचने में रुचि रखती हैं। लेकिन हाल की केंद्र सरकार ने इस सोच को बदला है।
सरकार ने कंपनियों को प्रोफेशनल मैनेजमेंट दिया, नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित की और मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों से उन्हें एक नया मिशन दिया। इसका असर अब कंपनियों की बैलेंस शीट और बाजार में उनके वैल्यूएशन पर दिखने लगा है।
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट: टॉप 5 PSU Stocks
ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कुछ प्रमुख पीएसयू कंपनियों की पहचान की है, जो आने वाले वर्षों में बेहतर रिटर्न दे सकती हैं:
1. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)
देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक FY24-25 में 18.6% का रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) देने में सफल रहा। बैंक की क्रेडिट ग्रोथ अच्छी रही है और नेट इंटरेस्ट मार्जिन्स भी स्थिर हैं।
2. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)
डिफेंस सेक्टर में भारत का गौरव, HAL आने वाले दो वर्षों में 13.6% EPS ग्रोथ दिखा सकता है। कंपनी सरकार के रक्षा आत्मनिर्भरता मिशन की रीढ़ है।
3. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)
डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स में अग्रणी BEL को 18.6% CAGR की उम्मीद है। डिफेंस बजट में बढ़ोतरी से इसे प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
4. पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया
देश की बिजली आपूर्ति की रीढ़, यह कंपनी FY25-26 में 18.4% RoE का प्रदर्शन कर सकती है। इसका रेगुलेटेड बिजनेस मॉडल इसे स्थिरता और सुरक्षित रिटर्न प्रदान करता है।
5. कोल इंडिया
हालांकि कोल एक साइक्लिकल सेक्टर है, लेकिन कोल इंडिया के पास मजबूत कैश फ्लो, उच्च डिविडेंड यील्ड और सिर्फ 6.8x के वैल्यूएशन पर मिल रही है, जो इसे खासा आकर्षक बनाता है।
निवेशकों के लिए क्या है संदेश?
मोतीलाल ओसवाल की यह रिपोर्ट एक मजबूत संकेत देती है कि अब पीएसयू कंपनियों को नजरअंदाज करना घाटे का सौदा हो सकता है। मजबूत बैलेंस शीट, स्पष्ट आय की दिशा और रणनीतिक महत्व इन्हें लॉन्ग टर्म निवेश के लिए आदर्श बनाते हैं। साथ ही, सरकार की सकारात्मक नीतियों ने इनके लिए policy tailwinds पैदा किए हैं।
हालांकि, किसी भी निवेश से पहले अपनी रिसर्च करना या किसी वित्तीय सलाहकार से राय लेना जरूरी है। हर स्टॉक की अपनी जोखिम प्रोफाइल होती है और निवेशक की रणनीति भी भिन्न हो सकती है।
निष्कर्ष
जहां एक समय पर सरकारी कंपनियों को धीमी, अक्षम और नीरस माना जाता था, वहीं आज वे भारत की विकास गाथा का अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट यह साबित करती है कि बदली हुई रणनीति और पेशेवर प्रबंधन के साथ पीएसयू कंपनियां भी वेल्थ क्रिएशन का अहम जरिया बन सकती हैं। यह बदलाव निवेशकों के नजरिए में भी एक नई सोच की शुरुआत है—सरकारी मतलब सुस्त नहीं, बल्कि स्थिर और सक्षम।
F.A.Q.
– क्या पीएसयू कंपनियां अब निवेश के लिए बेहतर विकल्प बन गई हैं?
हां, हाल के वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए सुधारों, पेशेवर प्रबंधन और नीतिगत समर्थन के चलते कई पीएसयू कंपनियां मजबूत मुनाफा और रिटर्न दे रही हैं। बीएसई पीएसयू इंडेक्स का प्रदर्शन निजी कंपनियों से बेहतर रहा है।
– क्या पीएसयू कंपनियों में लॉन्ग टर्म निवेश करना सुरक्षित है?
अगर कंपनी की बैलेंस शीट मजबूत हो, आय में स्थिरता हो और रणनीतिक क्षेत्र से जुड़ी हो, तो लॉन्ग टर्म निवेश के लिए पीएसयू एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, निवेश से पहले रिसर्च जरूरी है।
– क्या सरकारी कंपनियों में अब वैल्यूएशन आकर्षक हो गया है?
जी हां, कई पीएसयू कंपनियां कम पी/ई रेश्यो (जैसे कोल इंडिया – 6.8x) पर मिल रही हैं, जो उन्हें वैल्यू निवेश के लिहाज से आकर्षक बनाती है।
– क्या पीएसयू सेक्टर का प्रदर्शन भविष्य में भी मजबूत रह सकता है?
सरकार की मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और डिफेंस प्रोडक्शन जैसे अभियानों से पीएसयू कंपनियों को नीति के पक्ष में हवा (policy tailwinds) मिल रही है। अगर यही दिशा बनी रही, तो इनका प्रदर्शन आगे भी मजबूत रहने की संभावना है।
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