इन 14 म्यूचुअल फंड्स ने निवेशकों का पैसा किया आधा! क्या आपका फंड भी लिस्ट में है?

स्टॉक मार्केट में बीते एक साल से लगातार उतार-चढ़ाव का माहौल बना हुआ है। इस अस्थिरता के दौर में जहां कुछ म्यूच्यूल फंड्स मजबूत बने रहे, वहीं कई फंड्स ऐसे भी रहे जो गिरावट की आंधी में बिखर गए। इन म्यूच्यूल फंड्स ने अपने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया है, यहां तक कि कुछ स्कीम्स ने 10% से 16% तक का नेगेटिव रिटर्न दिया है।

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कौन-कौन से फंड्स डगमगाए?

एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बिना ETF को शामिल किए गए आंकड़ों में 14 स्कीम्स ऐसी पाई गई हैं, जिन्होंने बीते एक साल में 10% से ज्यादा का नुकसान दिया है। इनमें सबसे ऊपर Samco स्पेशल ऑपर्च्युनिटीज़ फंड का नाम है जिसने करीब 16% का नेगेटिव रिटर्न दिया। इसके अलावा:

  • Samco Flexi Cap Fund: -12%
  • Tata Infrastructure Fund: -11.80%
  • Quant Infrastructure Fund: -11.50%
  • ICICI Pro Nifty 200 Momentum 30 Index Fund: -11.33%
  • HDFC Fund 200 Momentum 30 Index: -11.30%
  • Motilal Oswal Nifty 200 Momentum 30 Index Fund: -11.00%
  • Tata Nifty RT Index: -10.90%
  • Quant Active Fund: -10.51%
  • Kotak Nifty 200 Momentum 30 Index: -10.17%
  • HDFC MNC Fund: -10.00%

ये फंड्स विभिन्न कैटेगरी जैसे लार्ज कैप, फ्लेक्सी कैप, इंफ्रास्ट्रक्चर और रियलिटी में आते हैं।

गिरावट की असली वजह क्या?

2025 में स्टॉक मार्केट करेक्शन मोड में है, खासकर स्मॉल कैप इंडेक्स में तो 18% तक की गिरावट देखी गई है। इसके साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर में बियरिश सेंटीमेंट ने इन फंड्स पर दबाव बनाया। वहीं, मोमेंटम फंड्स की स्ट्रैटजी और सेक्टोरियल बायस ने गलत समय पर निवेश करके नुकसान को और बढ़ाया।

विशेषज्ञों के अनुसार, Quant और Samco जैसे फंड हाउस ने अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा क्वांटिटेटिव मॉडल्स पर आधारित किया, जिसकी टाइमिंग बाजार ट्रेंड से मेल नहीं खा पाई। इस वजह से इनका प्रदर्शन औसत से भी नीचे रहा।

क्या करना चाहिए निवेशकों को?

अगर आपका म्यूच्यूल फंड भी घाटे में है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले करें अपने फंड की तुलना – उसी कैटेगरी के टॉप फंड्स और औसत रिटर्न से। अगर फर्क मामूली है तो निवेश बनाए रखें। लेकिन अगर फंड लगातार पिछड़ रहा है, तो फाइनेंशियल एडवाइजर से राय लेना बेहतर होगा।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि म्यूच्यूल फंड में कम से कम 3 से 5 साल का निवेश करना चाहिए ताकि कंपाउंडिंग का असर दिखाई दे। सही एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन से जोखिम को कम किया जा सकता है।

लॉन्ग टर्म स्ट्रेटजी ही है सफलता की कुंजी

बाजार की चाल को समझें और उसी आधार पर अपने पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करें। शॉर्ट टर्म लॉस देखकर निवेश से बाहर निकलना हमेशा सही नहीं होता। लॉन्ग टर्म निवेश से ही बड़ा फंड तैयार किया जा सकता है।

फिलहाल बाजार में सुस्ती है, लेकिन यह हमेशा नहीं रहेगी। इसलिए जल्दबाजी में फैसला न लें, और निवेश को एक दीर्घकालिक योजना के रूप में देखें।

F.A.Q.

– क्या म्यूच्युअल फंड में नेगेटिव रिटर्न हमेशा नुकसानदायक होते हैं?

नहीं। म्यूच्युअल फंड्स में नेगेटिव रिटर्न शॉर्ट टर्म में सामान्य हैं, खासकर जब बाजार में उतार-चढ़ाव चल रहा हो। लॉन्ग टर्म में अच्छे फंड्स अक्सर नुकसान की भरपाई कर बेहतर रिटर्न देते हैं।

– अगर मेरा फंड नेगेटिव रिटर्न दे रहा है, तो क्या मुझे तुरंत उसे बेच देना चाहिए?

नहीं। सबसे पहले अपने फंड की तुलना उसी कैटेगरी के अन्य फंड्स और कैटेगरी एवरेज से करें। अगर आपका फंड बहुत पीछे है, तभी एक्सपर्ट सलाह लेकर निर्णय लें। जल्दबाज़ी में बेचने से नुकसान और बढ़ सकता है।

– कितने समय तक म्यूच्युअल फंड में निवेश करना चाहिए?

कम से कम 3 से 5 साल का समय देना चाहिए ताकि कंपाउंडिंग का लाभ मिल सके और बाजार के उतार-चढ़ाव से बचा जा सके। लंबी अवधि (10–15 साल) तक बने रहना अधिक फायदेमंद होता है।

– क्या सभी कैटेगरी के म्यूचुअल फंड्स में एक जैसी गिरावट देखने को मिली है?

नहीं। सबसे ज्यादा गिरावट फ्लेक्सी कैप, इंफ्रास्ट्रक्चर, मोमेंटम इंडेक्स और रियल्टी सेक्टर से जुड़े फंड्स में देखी गई है। जबकि लार्ज कैप या डेब्ट फंड्स ने तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन किया है।

– क्या SIP करने वालों को भी नुकसान हुआ है?

SIP (Systematic Investment Plan) में निवेश करने वालों को भी शॉर्ट टर्म में नुकसान हो सकता है। लेकिन SIP का फायदा लॉन्ग टर्म में मिलता है, जब आप कम दाम पर अधिक यूनिट्स खरीद पाते हैं। इससे औसत खरीद मूल्य घटता है और लंबी अवधि में रिटर्न सुधरता है।

– अगर मार्केट में सुधार नहीं हुआ तो क्या म्यूचुअल फंड से पूरी तरह बाहर निकल जाना चाहिए?

पूरी तरह से बाहर निकलना समझदारी नहीं है। ऐसा करना आपको लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग बेनिफिट्स से वंचित कर सकता है। इसके बजाय पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करें और फंड बदलने का निर्णय तभी लें जब आपका फंड लगातार underperform कर रहा हो।

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  • Manoj Talukdar

    नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम मनोज तालुकदार है, और मैं लम्बे समय से शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश से जुड़े क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रहा हूं। इस दौरान मैंने जो अनुभव और ज्ञान अर्जित किया है, उसे मैं आप सभी के साथ इस वेबसाइट के माध्यम से साझा करना चाहता हूं। मेरा उद्देश्य है कि इस वेबसाइट के जरिए आपको निवेश से जुड़ी सही और उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकूं, ताकि आप अपने निवेश निर्णयों को बेहतर बना सकें।

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