इन कंपनियों के पास है खुद से ज्यादा कैश – स्मार्ट निवेशक क्यों लगा रहे हैं दांव?

भारतीय शेयर बाजार में कई ऐसे स्टॉक्स हैं जो अपने कोर बिजनेस वैल्यू से कहीं अधिक संपत्ति बैलेंस शीट पर बैठे हैं – कैश और इन्वेस्टमेंट्स के रूप में। इन कंपनियों के पास इतना कैश रिजर्व होता है कि वो स्ट्रैटजिक कैपिटल डिप्लॉयमेंट कर सकें, चाहे वो नए प्रोजेक्ट्स हों या इनऑर्गेनिक ग्रोथ। आज हम बात कर रहे हैं तीन ऐसे ही स्टॉक्स की जिनके पास भारी मात्रा में कैश और इन्वेस्टमेंट्स हैं – जो उन्हें अलग श्रेणी में रखता है।

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1. Sunflag Iron and Steel

Sunflag Iron and Steel की स्थापना 1984 में हुई थी और यह सनफ्लैग ग्रुप का हिस्सा है। कंपनी ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए स्पेशल ग्रेड स्टील प्रोडक्ट्स बनाती है, जिनमें रोल्ड प्रोडक्ट्स, पिलेट्स, इंगोट्स और ब्राइट बार्स शामिल हैं। क्लाइंट्स में इंडियन रेलवेज़, ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज और बड़े OEMs जैसे Maruti Suzuki, Ford, TVS आदि शामिल हैं।

हाईलाइट्स:

  • मार्केट कैप: ₹527 करोड़
  • लॉयड्स मेटल्स में स्टेक: 11.5% (वैल्यू ₹8690 करोड़)
  • कैश + इन्वेस्टमेंट्स: बैलेंस शीट का 71%
  • FY25 रेवेन्यू: ₹3536 करोड़ (3.5% ग्रोथ)

हालांकि कंपनी की FY25 में टॉपलाइन ग्रोथ सीमित रही और वर्किंग कैपिटल में प्रेशर दिखा, लेकिन लॉयड्स मेटल्स जैसी स्ट्रॉन्ग इन्वेस्टमेंट्स इसे मजबूत सपोर्ट देती हैं। कंपनी डिफेंस और न्यूक्लियर एनर्जी जैसे सेक्टर्स में भी प्रवेश कर रही है।

रिस्क: रॉ मटेरियल्स की इंपोर्ट डिपेंडेंसी, फॉरेक्स रिस्क, और बढ़ती इन्वेंटरी साइकिल।

2. Maithan Alloys

Maithan Alloys भारत की लीडिंग फेरो एलॉय मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। यह फेरोमैंगनीज, सिलिकोमैंगनीज और फेरो सिलिकॉन जैसे बल्क एलॉय बनाती है जो स्टील इंडस्ट्री में इस्तेमाल होते हैं। कंपनी की क्लाइंट लिस्ट में SAIL, Tata Steel, और JSW जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

हाईलाइट्स:

  • मार्केट कैप: ₹3559 करोड़
  • कैश + इन्वेस्टमेंट्स: ₹415 करोड़ (~87% मार्केट कैप का)
  • इन्वेस्टमेंट ग्रोथ: ₹59 करोड़ से ₹1000 करोड़ (FY25 में 18x ग्रोथ)
  • नेट प्रॉफिट: ₹631 करोड़ (80% ग्रोथ YoY)

FY25 में इन्वेस्टमेंट्स से भारी अदर इनकम आई जिससे नेट प्रॉफिट में बड़ा जंप देखने को मिला, जबकि सेल्स ग्रोथ सीमित रही। रियल एस्टेट और रिन्यूएबल एनर्जी में कंपनी का डायवर्सिफिकेशन शुरू हो चुका है।

रिस्क: इन्वेंटरी बढ़ने से कैश कन्वर्ज़न साइकिल स्ट्रेच हो चुकी है (374 दिन तक), साथ ही फेरो एलॉय प्राइसेज में गिरावट और पावर कॉस्ट बढ़ने से मार्जिन दबाव में रह सकते हैं।

3. Oil India Limited

Oil India एक महारत्न सरकारी कंपनी है जो क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस के एक्सप्लोरेशन, प्रोडक्शन, ट्रांसपोर्टेशन और रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन में सक्रिय है। यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी है।

हाईलाइट्स:

  • मार्केट कैप: ₹60,000+ करोड़ (लगभग)
  • कैश और इन्वेस्टमेंट्स: ₹25,000 करोड़+
  • FY25 प्रॉफिट: ₹9,000 करोड़+
  • PE Ratio: लगभग 5x – इंडस्ट्री में सबसे आकर्षक वैल्यूएशन

कंपनी के पास भारी मात्रा में फ्री कैश फ्लो है और यह नियमित रूप से हाई डिविडेंड देती रही है। इसके पास गवर्नमेंट सपोर्ट, गैस-बेस्ड इंफ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल सेक्टर में विस्तार के प्लान्स हैं।

रिस्क: कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव और ESG रेगुलेशंस का दबाव।

निष्कर्ष:

इन तीनों कंपनियों की खास बात यह है कि इनका मार्केट कैप उनके कैश और इन्वेस्टमेंट्स से कई मामलों में कम है। ये स्टॉक्स न सिर्फ वैल्यू इन्वेस्टिंग के नजरिए से आकर्षक हैं, बल्कि इनकी बैलेंस शीट स्ट्रेंथ उन्हें भविष्य में ग्रोथ या डाउंसाइड सेफ्टी दोनों का अच्छा मौका देती है।

F.A.Q.

– ऐसी कंपनियां जिनके पास बहुत कैश है, फिर भी उनके शेयर सस्ते क्यों मिल रहे हैं?

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मार्केट सिर्फ कंपनी के कैश नहीं बल्कि ग्रोथ पोटेंशियल, मैनेजमेंट, बिजनेस मॉडल और सेक्टर के फ्यूचर को भी देखती है। अगर कंपनी कैश तो रखती है लेकिन उसका उपयोग नहीं कर रही या बिजनेस स्लो है, तो शेयर प्राइस दबा रह सकता है।

– क्या सिर्फ कंपनी के पास कैश होना ही उसे खरीदने लायक बनाता है?

नहीं, कैश होना एक पॉजिटिव संकेत है लेकिन यह अकेला फैक्टर नहीं है। साथ में कंपनी की ग्रोथ स्ट्रेटेजी, फ्यूचर प्लान्स, डिविडेंड पॉलिसी और कॉर्पोरेट गवर्नेंस भी जरूरी होती है।

– कैसे पता करें कि कोई कंपनी कैश-रिच है या नहीं?

कंपनी के बैलेंस शीट में “Cash & Cash Equivalents” देख सकते हैं। साथ ही Screener.in, TickerTape, या Moneycontrol जैसी वेबसाइट्स से भी आप ये जानकारी आसानी से पा सकते हैं।

– क्या कैश-रिच कंपनियां ज्यादा डिविडेंड देती हैं?

हाँ, कई बार कैश-रिच कंपनियां रेगुलर और अच्छा डिविडेंड देती हैं, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है। कुछ कंपनियां कैश को भविष्य की योजनाओं या अधिग्रहण में भी उपयोग करती हैं।

– 2025 में ऐसी कौन सी टॉप 3 कैश-रिच कंपनियां हैं जो अंडरवैल्यूड हैं?

उदाहरण के लिए ITC, Coal India और Balmer Lawrie जैसी कंपनियां फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग हैं और उनके पास भारी कैश रिज़र्व्स हैं, फिर भी PE रेश्यो के हिसाब से ये अभी सस्ती दिखती हैं।

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  • Manoj Talukdar

    नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम मनोज तालुकदार है, और मैं लम्बे समय से शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश से जुड़े क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रहा हूं। इस दौरान मैंने जो अनुभव और ज्ञान अर्जित किया है, उसे मैं आप सभी के साथ इस वेबसाइट के माध्यम से साझा करना चाहता हूं। मेरा उद्देश्य है कि इस वेबसाइट के जरिए आपको निवेश से जुड़ी सही और उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकूं, ताकि आप अपने निवेश निर्णयों को बेहतर बना सकें।

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