भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के शेयरों में तेज़ गिरावट देखी गई, जिसने निवेशकों को थोड़ा चौंका दिया। इसकी सबसे बड़ी वजह थी कंपनी के ताज़ा जून तिमाही (Q1 FY26) के कमजोर नतीजे और घाटे में बढ़ोतरी।
पिछले कुछ समय से निवेशक BHEL के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे, खासकर देश में बढ़ते बिजली और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को देखते हुए। लेकिन Q1 के नतीजों ने फिलहाल इन उम्मीदों पर थोड़ा पानी फेर दिया है। आइए समझते हैं कि क्या हुआ, शेयर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है, और आगे का रुख क्या हो सकता है।

BHEL शेयर प्राइस में बड़ी गिरावट
BHEL के शेयर आज सुबह करीब 6.3% गिरावट के साथ ट्रेड होते देखे गए। NSE पर यह ₹224.71 और BSE पर ₹224.80 तक गिर गया। शुरुआती कीमत ₹231.85 से थी, लेकिन धीरे-धीरे शेयर पर दबाव बनता गया और यह नीचे फिसलता चला गया।
दिनभर शेयर में उतार-चढ़ाव बना रहा, लेकिन कुल मिलाकर यह एक कमजोर सत्र रहा। इस गिरावट का मुख्य कारण निवेशकों की निराशा और कमजोर तिमाही नतीजे माने जा रहे हैं।
Q1 FY26 के वित्तीय नतीजे: घाटा दोगुना हुआ
BHEL ने जून तिमाही के जो नतीजे पेश किए, वह उम्मीद से काफी नीचे रहे।
- कंपनी को इस तिमाही में ₹455.5 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ है, जो पिछले साल की समान तिमाही में ₹211 करोड़ था।
- यानी, एक साल में घाटा लगभग दोगुना हो गया है।
जहाँ तक राजस्व (Revenue) की बात है, उसमें ज़्यादा बदलाव नहीं हुआ —
- इस बार कंपनी का राजस्व रहा ₹5,486.9 करोड़, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा ₹5,484.9 करोड़ था।
हालांकि मामूली बढ़ोतरी दिख रही है, लेकिन खर्चों (operating expenses) में बढ़ोतरी के चलते ऑपरेटिंग मार्जिन पर दबाव बना रहा। यही वजह रही कि कंपनी को घाटा झेलना पड़ा।
ट्रेडिंग वॉल्यूम और तकनीकी रुझान
आज के कारोबार में BHEL के शेयरों में भारी गतिविधि देखी गई।
- लगभग 6.85 मिलियन शेयरों का लेन-देन हुआ, जो दर्शाता है कि निवेशकों ने गिरावट पर तेज़ रिएक्शन दिया है।
तकनीकी विश्लेषण की बात करें, तो फिलहाल यह शेयर
- 5‑, 20‑, 50‑, 100‑ और 200‑डे मूविंग एवरेज से नीचे ट्रेड कर रहा है।
- यह दर्शाता है कि स्टॉक में अभी कमजोरी बनी हुई है और आने वाले दिनों में भी कुछ समय तक दबाव जारी रह सकता है।
ट्रेडर्स के लिए यह संकेत है कि अभी लॉन्ग पोजिशन लेने में सतर्कता बरतनी चाहिए, खासकर जब तक कोई सकारात्मक ट्रिगर सामने नहीं आता।
BHEL Share में विश्लेषकों की राय: मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
BHEL को लेकर अलग-अलग ब्रोकरेज हाउस की राय भी सामने आई है:
- CLSA ने BHEL को “Underperform” रेटिंग दी है और टार्गेट प्राइस ₹198 तय किया है, जो मौजूदा स्तर से करीब 17% नीचे है। CLSA के अनुसार, कंपनी की लागतें बढ़ रही हैं और घाटा आने वाले समय में भी दबाव बनाए रख सकता है।
- दूसरी ओर, UBS ने BHEL को लेकर थोड़ी सकारात्मक राय रखी है। UBS का मानना है कि देश में बिजली उत्पादन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारी निवेश होने वाला है, जिससे भविष्य में BHEL को लाभ हो सकता है। इसी आधार पर UBS ने इसे अपनी ‘Buy’ लिस्ट में बनाए रखा है।
निष्कर्ष: क्या करना चाहिए निवेशकों को?
BHEL के मौजूदा तिमाही नतीजे निवेशकों के लिए थोड़े निराशाजनक रहे हैं। हालांकि कंपनी का राजस्व स्थिर है, लेकिन खर्चों में बढ़ोतरी और बढ़ते घाटे ने शेयर को नीचे ला दिया है।
अगर आप शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करते हैं, तो फिलहाल इस शेयर से दूरी बनाकर रखना एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है। वहीं, अगर आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं और भारत के ऊर्जा क्षेत्र की ग्रोथ में भरोसा रखते हैं, तो UBS जैसी संस्थाओं की राय के मुताबिक धीरे-धीरे निवेश की रणनीति बना सकते हैं।
F.A.Q.
– BHEL का शेयर आज क्यों गिरा?
BHEL का शेयर आज इसलिए गिरा क्योंकि कंपनी ने Q1 (जून तिमाही) में ₹455.5 करोड़ का घाटा दिखाया है, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है। इसके अलावा ऑपरेटिंग खर्च बढ़ने और कमजोर मुनाफे के कारण निवेशकों में चिंता बढ़ी है।
– क्या अभी BHEL का शेयर खरीदना चाहिए?
अगर आप शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करते हैं, तो अभी शेयर में गिरावट और तकनीकी कमजोरी के चलते खरीदने से बचना बेहतर हो सकता है। लेकिन अगर आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं और एनर्जी सेक्टर की ग्रोथ में भरोसा रखते हैं, तो गिरावट पर धीरे-धीरे खरीदारी पर विचार कर सकते हैं।
– BHEL का तकनीकी रुझान क्या संकेत देता है?
BHEL का शेयर अपने 5, 20, 50, 100 और 200-दिनों के मूविंग एवरेज से नीचे ट्रेड कर रहा है, जो फिलहाल कमजोरी का संकेत है। यानी तकनीकी दृष्टि से इसमें अभी मंदी का रुख दिख रहा है।
– क्या BHEL का घाटा भविष्य में भी जारी रह सकता है?
अगर कंपनी अपने खर्चों को कंट्रोल नहीं कर पाई और ऑर्डर बुक या प्रोजेक्ट डिलीवरी में देरी हुई, तो घाटा आगे भी जारी रह सकता है। हालांकि सरकार की ऊर्जा परियोजनाओं में भागीदारी इसकी स्थिति सुधार सकती है।
– UBS और CLSA की राय में इतना अंतर क्यों है?
CLSA फोकस कर रहा है कंपनी के तात्कालिक नुकसान और खर्चों पर, जबकि UBS दीर्घकालीन संभावनाओं जैसे रिन्यूएबल एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ को देख रहा है। दोनों का समय-फ्रेम और दृष्टिकोण अलग-अलग है।
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