भारत में रक्षा उपकरणों के उत्पादन को लेकर लगातार काम हो रहा है, और इसी कड़ी में अडानी डिफेंस का नाम तेजी से उभर रहा है। हाल ही में कानपुर स्थित उनकी स्मॉल आर्म्स फैसिलिटी की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें पिस्तौल, राइफल, कार्बाइन, स्नाइपर और कई तरह के गोला-बारूद बनते हुए दिखे। कंपनी का फोकस सिर्फ हथियार बनाने पर नहीं, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीक से लैस करने पर भी है।

अडानी डिफेंस के हथियारों की पूरी रेंज
कानपुर की अडानी डिफेंस इस फैक्ट्री में लक्ष्य, प्रहार, अराड, जीत, अभय, त्रिवा जैसी कई बंदूकें बनाई जा रही हैं। हर हथियार की अपनी विशेषता है।
- अराड राइफल को एआई (Artificial Intelligence) तकनीक से लैस किया गया है, जो निशाने की सटीकता बढ़ाने में मदद करती है।
- तीव्र और अभय कार्बाइन खास तौर पर स्पेशल फोर्सेस के लिए डिजाइन की गई हैं।
- जीत नाम की असॉल्ट राइफल 5.56 और 7.62 दोनों कैलिबर में उपलब्ध है।
- प्रहार लाइट मशीन गन 800 मीटर तक सटीक फायर कर सकती है और इसमें 120 राउंड का ड्रम लगाया जा सकता है।
- 0.338 स्नाइपर राइफल की रेंज 600 से 1200 मीटर तक मानी जा रही है, जो फिलहाल ट्रायल पर है।
AI तकनीक का इस्तेमाल
जैसे-जैसे तकनीक हर क्षेत्र में प्रवेश कर रही है, वैसे ही रक्षा क्षेत्र में भी इसका प्रभाव दिखने लगा है।
- अराड राइफल में मौजूद एआई सिस्टम शूटर के फायरिंग पैटर्न को पढ़ता है और गलतियों को कम करने की कोशिश करता है।
- रीकॉइल (गोली चलने के बाद आने वाला झटका) के असर को कम करके यह हथियार अधिक सटीक निशाना लगाने में मदद करता है।
- इससे ऑपरेशन के दौरान टारगेट हिट करने की संभावना बढ़ती है और ट्रेनिंग का समय भी घट सकता है।
आत्मनिर्भर भारत में योगदान
भारत सरकार का उद्देश्य है कि देश में ही आधुनिक और हाई-टेक हथियार तैयार किए जाएं, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो।
- अडानी डिफेंस का ग्वालियर और कानपुर में उत्पादन केंद्र इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
- हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने करीब 2000 करोड़ रुपये का कार्बाइन सौदा किया, जिसमें से 40% उत्पादन अडानी डिफेंस करेगा।
- कंपनी ने इज़राइली तकनीक को अपनाकर कई हथियारों का स्वदेशीकरण किया है, जिससे गुणवत्ता और भरोसे में वृद्धि हुई है।
शेयर बाजार के नजरिए से
रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां हाल के वर्षों में निवेशकों के लिए चर्चा का विषय रही हैं।
- सरकारी नीतियों का सपोर्ट, बढ़ते ऑर्डर्स और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों से इस सेक्टर की कंपनियों को फायदा मिल सकता है।
- अडानी डिफेंस जैसी कंपनियां, जो तकनीक और उत्पादन क्षमता दोनों में मजबूत हैं, लंबी अवधि के निवेशकों की नजर में रह सकती हैं।
- हालांकि निवेश से पहले कंपनी के ऑर्डर बुक, वित्तीय स्थिति और सरकारी योजनाओं की दिशा पर ध्यान देना जरूरी है।
इस पूरी कहानी से एक बात साफ है – भारत धीरे-धीरे रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। अडानी डिफेंस की कानपुर फैक्ट्री में तैयार हो रहे ये हथियार न सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत हैं, बल्कि आने वाले समय में भारत की सुरक्षा क्षमता को भी और मजबूत करेंगे।
F.A.Q.
– अडानी डिफेंस की कानपुर फैक्ट्री में कौन-कौन से हथियार बनाए जाते हैं?
इस फैक्ट्री में पिस्तौल, असॉल्ट राइफल, कार्बाइन, स्नाइपर राइफल और लाइट मशीन गन के साथ-साथ अलग-अलग तरह का गोला-बारूद भी बनाया जाता है।
– क्या अडानी डिफेंस सेना को हथियार सप्लाई करता है?
जी हाँ, अडानी डिफेंस भारतीय थल सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को हथियार सप्लाई करता है।
– हाल ही में अडानी डिफेंस ने कौन-सा बड़ा करार किया है?
रक्षा मंत्रालय ने करीब 2000 करोड़ रुपये के कार्बाइन सौदे में 40% उत्पादन का जिम्मा अडानी डिफेंस को सौंपा है।
– क्या अडानी डिफेंस के हथियारों में विदेशी तकनीक का इस्तेमाल होता है?
हाँ, कुछ हथियारों में इज़राइली तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसे स्वदेशीकरण के तहत भारतीय परिस्थितियों के अनुसार ढाला गया है।
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