अगर आप स्टॉक मार्केट में बिग मनी लगाना चाहते हैं, तो सबसे पहले नजर कहां जाएगी? कंपनी का प्रोडक्ट, प्रॉफिट, या मैनेजमेंट? बिल्कुल जरूरी हैं ये सभी फैक्टर, लेकिन एक और अहम संकेत है जिसे मार्केट के स्मार्ट प्लेयर्स सबसे पहले पकड़ते हैं — और वो है एफआईआई यानी फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स की मूवमेंट।
मई-जून 2025 के बीच एफआईआई ने कुछ चुनींदा मिड कैप और स्मॉल कैप भारतीय कंपनियों में जोरदार खरीदारी की है। इनमें से एक कंपनी में तो एफआईआई का स्टेक सिर्फ एक तिमाही में 8% से ज्यादा बढ़ गया है। यह कोई मामूली बात नहीं है।
तो कौन से हैं वो तीन कंपनियां जिनमें एफआईआई ने विश्वास दिखाया है? क्या ये कंपनियां वाकई मजबूत हैं या कोई गेम खेला जा रहा है? और क्या यह संकेत आपके लिए कुछ सीखने और समझने लायक है? आइए, इन तीन स्टॉक्स पर नजर डालते हैं:

1. RACL Geartech Ltd.
यह कंपनी ऑटो सेक्टर के लिए क्रिटिकल गियर और ट्रांसमिशन पार्ट्स बनाती है। आपने नाम सुना हो न सुना हो, लेकिन एफआईआई ने यहां बड़ी एंट्री की है। मई 2025 में एफआईआई का स्टेक 0.03% से बढ़कर 8.84% हो गया। यानी एक तिमाही में 8.81% का उछाल, और यह तब जब कंपनी का मार्केट कैप करीब 1000 करोड़ ही है।
कंपनी के प्रमोटर के पास 42.67% और रिटेल इन्वेस्टर्स के पास 45.89% हिस्सेदारी है। अब एफआईआई का तगड़ा दखल कंपनी को नई दिशा दे सकता है।
रिस्क फैक्टर: यह एक स्मॉल कैप स्टॉक है, लिक्विडिटी कम है और मार्केट में हलकी निगेटिविटी आने पर यह ज्यादा गिर सकता है।
2. Paras Defence
यह कंपनी भारत की एकमात्र ऐसी फर्म है जो क्रिटिकल स्पेस और डिफेंस ऑप्टिक्स बनाती है। कंपनी को डिफेंस इंजीनियरिंग से 54% और ऑप्टिक टेक्नोलॉजी से 46% रेवेन्यू आता है। इनके ग्लोबल कस्टमर में अमेरिका, इजराइल, यूएई और यूरोप शामिल हैं।
एफआईआई ने यहां 5.24% से स्टेक बढ़ाकर 7.28% कर दिया है। मेक इन इंडिया डिफेंस सेक्टर में इसका बड़ा रोल है।
रिस्क फैक्टर: डिफेंस ऑर्डर सरकारी अप्रूवल पर निर्भर होते हैं, डिले से रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है। साथ ही वैल्यूएशन काफी हाई है।
3. Capri Global Capital Ltd.)
यह एक एनबीएफसी है जो ऐसे ग्राहकों को लोन देती है जिन्हें बैंक से लोन मिलना मुश्किल होता है — जैसे छोटे बिजनेस ओनर, हाउसिंग फाइनेंस कस्टमर, और गोल्ड लोन कस्टमर।
एफआईआई ने यहां 0.98% से स्टेक बढ़ाकर 4.67% कर दिया, वहीं डीआईआई का स्टेक 14.52% से 21.86% हो गया। प्रमोटर की होल्डिंग थोड़ी घटी है, लेकिन संस्थागत निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी कंपनी की ताकत को दिखाती है।
रिस्क फैक्टर: एनबीएफसी सेक्टर में डिफॉल्ट का खतरा अधिक होता है और आरबीआई की सख्ती भी लगातार बढ़ रही है।
क्या मतलब निकाला जाए?
एफआईआई का मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में बढ़ता निवेश यह बताता है कि वे भारत के ग्रोथ स्टोरी में अब ज्यादा डीपली इन्वॉल्व हो रहे हैं। लेकिन इन कंपनियों में निवेश से पहले फंडामेंटल एनालिसिस जरूर करें।
याद रखिए, स्मार्ट इन्वेस्टमेंट वही है जो डेटा, रिसर्च और ट्रेंड के साथ किया जाए — और एफआईआई की मूवमेंट इसमें अहम सिग्नल हो सकती है।
F.A.Q.
– FII किसी स्टॉक में पैसा क्यों लगाते हैं?
FII (Foreign Institutional Investors) किसी स्टॉक में तभी पैसा लगाते हैं जब उन्हें उस कंपनी के फ्यूचर ग्रोथ, फंडामेंटल्स और सेक्टर की पोटेंशियल पर भरोसा होता है। उनका इन्वेस्टमेंट आमतौर पर बड़े एनालिसिस और डेटा पर आधारित होता है।
– क्या सिर्फ FII की खरीदारी देखकर स्टॉक खरीद लेना चाहिए?
नहीं, केवल FII मूवमेंट देखकर स्टॉक खरीदना रिस्की हो सकता है। आपको कंपनी के फंडामेंटल्स, वैल्यूएशन और बिजनेस मॉडल की भी जांच करनी चाहिए।
– RACL Geartech में FII ने इतनी बड़ी हिस्सेदारी क्यों ली?
RACL Geartech एक ऑटो कंपोनेंट कंपनी है जो ट्रांसमिशन और गियर पार्ट्स बनाती है। इसकी ग्रोथ स्टोरी, ऑटो सेक्टर में बढ़ती डिमांड और मैनेजमेंट की मजबूती के कारण FII ने इसमें भारी निवेश किया है।
– क्या छोटे स्टॉक्स में FII की खरीदारी हमेशा अच्छा संकेत होती है?
ज्यादातर मामलों में हाँ, लेकिन छोटी कंपनियों में लिक्विडिटी कम होती है और वोलैटिलिटी ज्यादा होती है। इसलिए रिटेल इन्वेस्टर को सावधानीपूर्वक और रिस्क को समझकर ही निवेश करना चाहिए।
– यूनिवस्ट जैसे स्टॉक रेकमेंडेशन प्लेटफॉर्म क्या भरोसेमंद होते हैं?
अगर कोई प्लेटफॉर्म SEBI रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट से जुड़ा है, रियल-टाइम अलर्ट देता है और ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है तो उसे भरोसेमंद माना जा सकता है। फिर भी हमेशा खुद थोड़ी रिसर्च जरूर करें।
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