IDBI बैंक का खेल खत्म? सरकार बेच रही है 60% हिस्सा— आपका पैसा सुरक्षित है या खतरे में?

सरकारी बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। सरकार और LIC मिलकर IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रहे हैं। इस रणनीतिक बिक्री को लेकर शेयर बाजार और बैंकिंग जगत में काफी हलचल मची हुई है।

सूत्रों के मुताबिक, यह सौदा अक्टूबर 2025 तक पूरा हो सकता है। सवाल यह है कि आखिर यह बैंक क्यों बिक रहा है? ग्राहकों और निवेशकों पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए जानते हैं पूरी कहानी।

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क्यों बिक रहा है IDBI Bank?

IDBI बैंक में सरकार की 30.48% और LIC की 49.24% हिस्सेदारी है। दोनों मिलाकर बैंक के 94.71% मालिक हैं। अब दोनों ने फैसला किया है कि वे अपनी 60.72% हिस्सेदारी बेच देंगे और बैंक का प्रबंधन नए खरीदार को सौंप देंगे।

इसका मतलब है कि बैंक पूरी तरह निजी हाथों में चला जाएगा। यह कदम सरकार के बड़े निजीकरण एजेंडे का हिस्सा है। इस बिक्री से सरकार को 47,000 करोड़ रुपये के डिसइन्वेस्टमेंट लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।

यह प्रक्रिया लंबे समय से अटकी हुई थी। इसमें कई कानूनी, बाजार और नियामकीय अड़चनें थीं। अब इन बाधाओं को दूर कर लिया गया है और बिक्री अपने अंतिम चरण में है।

बिक्री की प्रक्रिया और अगला कदम

IDBI बैंक की बिक्री के लिए शेयर परचेस एग्रीमेंट (SPA) का मसौदा तैयार कर लिया गया है। यह एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें सौदे की सभी शर्तें लिखी होती हैं। 9 जुलाई को इस मसौदे पर एक अहम बैठक हुई और अब इसे वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाले समूह के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

मंजूरी मिलते ही सरकार उन कंपनियों से फाइनेंशियल बिड्स मांगेगी, जो बैंक खरीदने में रुचि रखती हैं। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो अक्टूबर में ही खरीदार चुन लिया जाएगा। उसी दिन SPA पर हस्ताक्षर होंगे, शेयर ट्रांसफर हो जाएंगे और सरकार को भुगतान मिल जाएगा।

ग्राहकों और निवेशकों पर असर

इस सौदे के बाद बैंकिंग सेवाओं पर ग्राहकों को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। अकाउंट, FD, लोन जैसी सभी सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी। हां, नए मालिक के आने के बाद बैंक की कार्यशैली में सुधार हो सकता है और ग्राहकों को बेहतर सेवा मिल सकती है।

निवेशकों के लिए यह खबर पहले से ही उत्साहजनक रही है। 10 जुलाई को IDBI बैंक का शेयर 2% चढ़कर ₹12.8 तक पहुंच गया। इस साल अब तक शेयर में 32% की तेजी आ चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्राइवेट मैनेजमेंट के तहत बैंक का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है।

नतीजा और चुनौतियां

अगर यह डील सफल रहती है तो यह भारत के बैंकिंग सेक्टर के निजीकरण का पहला बड़ा उदाहरण होगा। हालांकि इसमें चुनौतियां भी कम नहीं हैं। RBI की मंजूरी, खरीदारों की रुचि और बाजार की स्थिति जैसी कई बातें इस सौदे को प्रभावित कर सकती हैं।

सरकार का मानना है कि यह बिक्री जरूरी है ताकि बैंक को और कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। अब देखना होगा कि अक्टूबर तक यह सौदा किसके हाथ लगता है और भारतीय बैंकिंग सेक्टर में क्या नया मोड़ लाता है।

F.A.Q.

– कौन सा सरकारी बैंक बिकने जा रहा है?

सरकार और LIC मिलकर IDBI बैंक में अपनी 60.72% हिस्सेदारी बेचने जा रहे हैं। यह डील अक्टूबर 2025 तक पूरी होने की संभावना है।

– सरकार और LIC क्यों बेच रहे हैं IDBI बैंक?

सरकार अपने निजीकरण और डिसइन्वेस्टमेंट के लक्ष्य को पूरा करने के लिए IDBI बैंक को बेच रही है। इससे सरकार को करीब 47,000 करोड़ रुपये की आमद होने की उम्मीद है।

– क्या IDBI बैंक के ग्राहक प्रभावित होंगे?

नहीं, बैंक बिकने के बाद भी खातों, FD, लोन और बाकी सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ग्राहक पहले की तरह ही अपनी सेवाओं का इस्तेमाल कर सकेंगे।

– IDBI बैंक के शेयर पर क्या असर होगा?

बिक्री की खबर के बाद निवेशकों में उत्साह देखा गया है। शेयर में अब तक 32% तक की तेजी आ चुकी है और विशेषज्ञ मानते हैं कि प्राइवेट प्रबंधन के तहत बैंक का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता है।

– यह डील कब तक पूरी हो जाएगी?

सरकार का लक्ष्य है कि अक्टूबर 2025 तक यह पूरी प्रक्रिया खत्म हो जाए। उस वक्त खरीदार का चयन होगा, समझौते पर दस्तखत होंगे और शेयर ट्रांसफर हो जाएंगे।

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  • Manoj Talukdar

    नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम मनोज तालुकदार है, और मैं लम्बे समय से शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश से जुड़े क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रहा हूं। इस दौरान मैंने जो अनुभव और ज्ञान अर्जित किया है, उसे मैं आप सभी के साथ इस वेबसाइट के माध्यम से साझा करना चाहता हूं। मेरा उद्देश्य है कि इस वेबसाइट के जरिए आपको निवेश से जुड़ी सही और उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकूं, ताकि आप अपने निवेश निर्णयों को बेहतर बना सकें।

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