हाल ही में सोने की कीमतों में बड़ी हलचल देखने को मिली, जब यह ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर को छूने के बाद गिरावट में आ गया। वर्तमान में सोना ₹92,000 से ₹96,000 प्रति 10 ग्राम के बीच कारोबार कर रहा है, जिससे निवेशकों को थोड़ी राहत मिली है। वहीं, शेयर बाजार ने मार्च-अप्रैल में जबरदस्त रिकवरी दिखाई थी, लेकिन अब उसमें फिर से गिरावट का दौर लौट आया है।
इस सबके बीच, पश्चिम एशिया में ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक आर्थिक माहौल को अस्थिर कर दिया है। इस भू-राजनीतिक तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखा गया है। ब्रेंट क्रूड 11.5% की बढ़ोतरी के साथ $78.50 प्रति बैरल और WTI क्रूड 12% चढ़कर $77.58 प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है।

जेपी मॉर्गन की चेतावनी: तेल 120 डॉलर तक जा सकता है
जेपी मॉर्गन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि ईरान-इज़राइल तनाव और अधिक गहराता है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें $120 प्रति बैरल तक जा सकती हैं। इससे अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) फिर से 5% के आसपास पहुंच सकता है, जो फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती की योजनाओं को टाल सकता है।
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि तनाव सीमित रहता है, तो वर्ष 2025 में ब्रेंट क्रूड की कीमतें $60-65 प्रति बैरल और 2026 में औसतन $60 रहने की संभावना है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक संतुलित स्तर माना जाता है।
भारतीय बाज़ार के लिए चिंता की स्थिति
भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि देश अपनी कुल तेल आवश्यकता का लगभग 85% आयात करता है। यदि कच्चे तेल की कीमतें ऊंची बनी रहीं, तो घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ेंगी और महंगाई दर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
जेपी मॉर्गन का यह भी मानना है कि ईरान अपनी ही अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, इसलिए वैश्विक तेल आपूर्ति के 20% हिस्से को ढोने वाले समुद्री मार्ग स्ट्रेट ऑफ हॉर्मूज को बंद करने की संभावना कम है।
निवेशकों को सलाह: सतर्क रहें
वर्तमान परिदृश्य में भू-राजनीतिक तनाव, महंगाई और ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को इस समय सतर्क रहना चाहिए और सोच-समझकर निर्णय लेने चाहिए, क्योंकि बाजार में अस्थिरता फिलहाल बनी रह सकती है।
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