नेपाल इन दिनों गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के बाद, वहाँ के युवा खासकर GenZ वर्ग सड़कों पर उतर आया। शुरुआत शांतिपूर्ण विरोध से हुई, लेकिन जल्द ही हालात हिंसक हो गए। अब तक 20 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और काठमांडू, पोखरा जैसे शहरों में सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुँचा है।
मामला यहीं नहीं रुका। विरोध करने वालों ने भारतीय नागरिकों और उनके कारोबार को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रोजाना करीब 15-20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। हालात काबू से बाहर न जाएँ, इसके लिए नेपाली सेना को सड़कों पर उतारना पड़ा है।
अब सवाल यह है कि इसका असर भारत पर कितना गहरा हो सकता है। नेपाल भारत का सबसे नजदीकी आर्थिक साझेदार है। रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर पेट्रोलियम और दवाइयों तक नेपाल का बड़ा हिस्सा भारत से आता है। ऐसे में यह अस्थिरता सीधे भारतीय कंपनियों और शेयर बाजार तक पहुँच सकती है।

भारतीय शेयर बाजार पर संभावित असर
भारत और नेपाल के बीच का व्यापार आपसी भरोसे और स्थिरता पर टिका है। लेकिन मौजूदा विरोध प्रदर्शनों ने उस भरोसे को झटका दिया है। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो भारतीय शेयर बाजार में कुछ खास सेक्टर्स पर दबाव बढ़ सकता है। आइए देखते हैं किन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा खतरा है।
पेट्रोलियम और तेल कंपनियां
भारत नेपाल को पेट्रोलियम, डीजल और गैस का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। विरोध प्रदर्शनों के कारण सीमा पर ट्रकों की आवाजाही रुक गई है। अगर यह स्थिति लंबी चली तो इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) जैसी कंपनियों के निर्यात पर असर पड़ सकता है। सप्लाई रुकने से न सिर्फ उनकी बिक्री घटेगी बल्कि शेयर कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है।
फार्मा सेक्टर
नेपाल की दवा आपूर्ति भारत पर ही निर्भर है। कई भारतीय दवा कंपनियों के लिए नेपाल एक स्थिर मार्केट रहा है। लेकिन हिंसक माहौल में ट्रांसपोर्ट और सप्लाई चेन बाधित हो गई है। जिन कंपनियों का बड़ा निर्यात नेपाल की ओर जाता है, उन पर निवेशकों को नजर रखनी होगी।
ऑटोमोबाइल और मशीनरी
भारत से नेपाल को कार, बाइक और कृषि मशीनरी बड़ी मात्रा में भेजी जाती है। विरोध प्रदर्शनों के चलते व्यापार मार्ग बंद होने का मतलब है कि कंपनियों के ऑर्डर अटक सकते हैं। टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और बजाज ऑटो जैसी कंपनियाँ अप्रत्यक्ष रूप से इस अशांति का असर महसूस कर सकती हैं।
FMCG और रोजमर्रा की वस्तुएं
नेपाल में भारतीय FMCG कंपनियों का बड़ा दखल है। चावल, मसाले, स्नैक्स और अन्य रोजमर्रा की चीज़ें भारत से ही पहुँचती हैं। अगर ट्रांसपोर्ट लंबे समय तक बाधित रहा तो इन कंपनियों को नुकसान हो सकता है। खासकर हिंदुस्तान यूनिलीवर, ITC और डाबर जैसी कंपनियों को प्रभावित होने की संभावना है।
बैंकिंग और निवेश
भारतीय बैंकों और बीमा कंपनियों ने नेपाल में निवेश कर रखा है। राजनीतिक अस्थिरता का सीधा असर निवेश माहौल पर पड़ता है। बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नेपाल में शाखाएँ हैं। निवेशकों को डर है कि अगर हालात बिगड़े तो कर्ज वसूली और कारोबार दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
निवेशकों के लिए सीख
इस तरह के हालात निवेशकों को याद दिलाते हैं कि भू-राजनीतिक जोखिम हमेशा मौजूद रहते हैं। नेपाल का शेयर बाजार भले छोटा हो, लेकिन उसका असर भारतीय कंपनियों के कारोबार पर जरूर पड़ता है।
निवेशकों के लिए ज़रूरी है कि फिलहाल इन सेक्टर्स पर नज़र रखें:
- पेट्रोलियम
- फार्मा
- ऑटोमोबाइल
- FMCG
- बैंकिंग और फाइनेंशियल
यदि अशांति लंबे समय तक जारी रहती है, तो इन कंपनियों के शेयरों पर दबाव आ सकता है। वहीं, जिन कंपनियों का नेपाल में सीमित एक्सपोजर है, वे अपेक्षाकृत सुरक्षित रहेंगी।
निष्कर्ष
नेपाल के हालात अभी भी अनिश्चित हैं। हर दिन की घटनाएँ तस्वीर बदल सकती हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं तो भारत के लिए आर्थिक नुकसान बढ़ेगा और शेयर बाजार पर दबाव भी। फिलहाल निवेशकों के लिए सबसे सही रणनीति यही है कि स्थिति पर नज़र रखें और सेक्टर-वार फैसले लें।
नेपाल की अस्थिरता भारत के लिए सिर्फ पड़ोसी का मामला नहीं है, यह सीधा व्यापार और निवेश से जुड़ा मुद्दा है। यही वजह है कि आने वाले हफ्तों में भारतीय शेयर बाजार इस पर संवेदनशील बना रहेगा।
F.A.Q.
– नेपाल में विरोध प्रदर्शनों की वजह क्या है?
नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, जिसके बाद युवाओं खासकर GenZ वर्ग ने इसका विरोध शुरू किया। यही विरोध धीरे-धीरे हिंसक हो गया।
– भारतीय शेयर बाजार पर इसका असर क्यों पड़ सकता है?
भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पेट्रोलियम, दवाइयाँ, FMCG और ऑटोमोबाइल जैसी कई चीजें भारत से नेपाल जाती हैं। अशांति के कारण आपूर्ति बाधित हो रही है, जिससे भारतीय कंपनियों और उनके शेयरों पर असर पड़ सकता है।
– कौन से सेक्टर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं?
पेट्रोलियम, फार्मा, ऑटोमोबाइल, FMCG और बैंकिंग सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ने की संभावना है।
– क्या भारतीय निवेशकों को तुरंत अपने शेयर बेच देने चाहिए?
अभी जल्दबाज़ी करने की जरूरत नहीं है। निवेशकों को सेक्टर-वार नजर रखनी चाहिए और हालात के हिसाब से निर्णय लेना चाहिए।
– अगर नेपाल में हालात जल्दी सामान्य हो जाते हैं तो क्या असर कम होगा?
हाँ, यदि विरोध जल्द थम गया तो नुकसान सीमित रहेगा। लंबी अशांति ही सबसे बड़ा खतरा है।
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