अगर आप भी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बहुप्रतीक्षित आईपीओ का इंतजार कर रहे हैं, तो अब आपकी उम्मीदों को नई उड़ान मिल सकती है। NSE ने भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा सेटलमेंट ऑफर देते हुए सेबी (SEBI) के साथ पुराने विवादों को सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
NSE ने को-लोकेशन और डार्क फाइबर जैसे विवादों को निपटाने के लिए कुल ₹1388 करोड़ की पेशकश की है। माना जा रहा है कि अगर सेबी इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है, तो NSE का आईपीओ लाने की राह काफी हद तक साफ हो जाएगी। आइए जानते हैं पूरी खबर विस्तार से।

क्या है NSE का 1388 करोड़ का सेटलमेंट ऑफर?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, NSE ने सेबी के सामने दो अलग-अलग विवादों के समाधान के लिए आवेदन दायर किए हैं। को-लोकेशन मामले में ₹1165 करोड़ और डार्क फाइबर विवाद में ₹223 करोड़ का ऑफर दिया गया है। यह सेटलमेंट भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा प्रस्ताव माना जा रहा है।
को-लोकेशन और डार्क फाइबर विवाद क्या हैं?
को-लोकेशन विवाद में आरोप था कि NSE ने कुछ ब्रोकर्स को अपने सर्वर के ज्यादा नजदीक से ट्रेडिंग की सुविधा दी, जिससे उन्हें अन्य निवेशकों की तुलना में तेजी से डेटा एक्सेस मिला और अनुचित लाभ हुआ।
वहीं, डार्क फाइबर विवाद में कुछ ब्रोकर्स को अवैध फाइबर ऑप्टिक कनेक्शन के जरिए तेज डेटा ट्रांसमिशन की सुविधा देने का मामला था। इन दोनों ही विवादों के समाधान के लिए NSE ने यह बड़ा सेटलमेंट ऑफर दिया है।
सेबी की प्रतिक्रिया और NOC की स्थिति
मार्च 2025 में NSE ने सेबी से NOC (No Objection Certificate) के लिए औपचारिक आवेदन किया था, जो किसी भी आईपीओ के लिए जरूरी दस्तावेजों में से एक होता है।
सेबी प्रमुख ने हाल ही में संकेत दिए थे कि NSE के आईपीओ की राह की सभी बाधाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं, हालांकि उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई। अगर सेबी यह सेटलमेंट स्वीकार करती है, तो एनओसी मिलने में आसानी हो सकती है और आईपीओ लॉन्च का रास्ता खुल सकता है।
NSE की वित्तीय स्थिति और निवेशकों की दिलचस्पी
वित्त वर्ष 2025 में NSE का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 47% बढ़कर ₹12,188 करोड़ तक पहुंच गया है। वहीं, कंपनी की कुल आय 17% की वृद्धि के साथ ₹19,117 करोड़ रही। NSE के शेयर अनलिस्टेड मार्केट में हाल ही में ₹2300 के स्तर तक पहुंच चुके हैं, जो बताता है कि निवेशकों में कंपनी के प्रति काफी उत्साह है। लगभग 1 लाख से अधिक शेयरहोल्डर्स NSE में हिस्सेदारी रखते हैं।
क्या अब दिवाली से पहले आ सकता है IPO?
हालांकि सेबी प्रमुख ने अभी तक कोई तय तारीख नहीं दी है, लेकिन बाजार में उम्मीद की जा रही है कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो NSE का आईपीओ 2025 की दिवाली से पहले लॉन्च हो सकता है। NSE ने इससे पहले भी 2019, 2020 और 2024 में NOC के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें स्वीकृति नहीं मिली थी। इस बार स्थिति बदलती नजर आ रही है।
निष्कर्ष:
NSE का आईपीओ न केवल भारतीय पूंजी बाजार में एक ऐतिहासिक मौका होगा, बल्कि यह निवेशकों के लिए भी बड़ा अवसर साबित हो सकता है। सेबी के साथ चल रहे विवादों का समाधान होते ही एनओसी मिलने की संभावना बढ़ गई है। अब देखना यह है कि सेबी इस ₹1388 करोड़ के प्रस्ताव को कब स्वीकार करती है और NSE अपने बहुप्रतीक्षित आईपीओ की आधिकारिक घोषणा कब करता है।
F.A.Q.
– NSE का IPO अब तक क्यों नहीं आया?
NSE का IPO 2016 से लंबित है। इसकी मुख्य वजह को-लोकेशन और डार्क फाइबर जैसे विवाद थे, जिसमें कुछ ब्रोकर्स को विशेष लाभ देने के आरोप लगे थे। सेबी के साथ इन मामलों का समाधान लंबित होने के कारण आईपीओ में देरी हुई।
– 1388 करोड़ के सेटलमेंट ऑफर का क्या मतलब है?
NSE ने सेबी को ₹1388 करोड़ का प्रस्ताव दिया है ताकि पुराने विवाद (को-लोकेशन और डार्क फाइबर) को सुलझाया जा सके। यदि सेबी इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है, तो आईपीओ के लिए आवश्यक नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) मिलने का रास्ता साफ हो सकता है।
– NSE का आईपीओ कब तक आ सकता है?
सेबी चेयरमैन ने हाल ही में कहा कि NSE IPO की राह की सारी बाधाएं लगभग दूर हो चुकी हैं। हालांकि उन्होंने कोई निश्चित तारीख नहीं बताई, लेकिन संभावना है कि अगर सेटलमेंट मंजूर हो जाता है, तो 2025 के अंत या दिवाली से पहले आईपीओ आ सकता है।
– क्या NSE एक लाभकारी कंपनी है?
हाँ, NSE की वित्तीय स्थिति मजबूत है। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का नेट प्रॉफिट 47% बढ़कर ₹12,188 करोड़ हो गया है। कुल आय में भी 17% की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे निवेशकों का विश्वास और रुचि बनी हुई है।
– क्या आम निवेशक को NSE IPO में निवेश करना चाहिए?
अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं और मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश करना पसंद करते हैं, तो NSE एक आकर्षक विकल्प हो सकता है। हालांकि, किसी भी आईपीओ में निवेश से पहले कंपनी का DRHP, जोखिम और बाजार की स्थिति का विश्लेषण करना जरूरी होता है।
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