देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने एक बार फिर शेयर बिक्री के ज़रिए बड़ी पूंजी जुटाने की तैयारी कर ली है। यह कदम क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के माध्यम से उठाया जा रहा है।
2017 के बाद यह पहली बार है जब बैंक इस स्केल पर फंड रेजिंग करेगा। खास बात यह है कि इस हाई-प्रोफाइल डील को भारत और दुनिया के टॉप मर्चेंट बैंक महज ₹1 की फीस में हैंडल करने को तैयार हो गए हैं। आखिर इस डील के पीछे क्या रणनीति है, कौन-कौन से बैंक इसमें शामिल हैं और एलआईसी की क्या भूमिका रहने वाली है — जानते हैं विस्तार से।

SBI क्यों कर रहा है इतना बड़ा फंड रेजिंग?
SBI ने ₹25,000 करोड़ तक की रकम जुटाने का लक्ष्य रखा है, ताकि बैंक की कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET-1) पूंजी मजबूत हो सके। यह पूंजी बैंक की बैलेंस शीट को सुदृढ़ करने के साथ-साथ भविष्य की ग्रोथ और नियामकीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगी।
इससे पहले 2017 में भी बैंक ने QIP के जरिए ₹15,000 करोड़ जुटाए थे। इस बार यह राशि लगभग 1.5 गुना ज़्यादा है, जिससे यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा QIP बन सकता है।
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए लिस्टेड कंपनियां बिना लंबी और जटिल प्रक्रिया के सीधे संस्थागत निवेशकों से पूंजी जुटा सकती हैं।
यह राइट्स इश्यू और एफपीओ की तुलना में कहीं ज्यादा तेज़ और सुविधाजनक होता है। बैंक या कंपनी को बाजार में तेज़ी से फंड की जरूरत हो, तब QIP सबसे कारगर विकल्प साबित होता है।
₹1 फीस में क्यों राजी हुए टॉप मर्चेंट बैंक?
इस हाई-प्रोफाइल QIP को मैनेज करने के लिए जिन बैंकों को चुना गया है, उनमें शामिल हैं:
Kotak Mahindra Capital, ICICI Securities, HSBC, Citi Group, Morgan Stanley और SBI Capital Markets।
दिलचस्प बात यह है कि ये सभी बैंक इस डील को सिर्फ ₹1 की फीस पर हैंडल करने को तैयार हैं। इसका कारण है यह डील “लीग टेबल विन” के तौर पर देखी जा रही है — यानी यह सिर्फ कमाई का नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा का मामला है।
भारत के सबसे बड़े बैंक के साथ जुड़ना और उसका QIP संभालना मर्चेंट बैंकों के लिए एक गौरव की बात मानी जाती है। 2017 में भी ऐसा ही हुआ था, जब बैंकों ने नाममात्र की फीस ली थी।
LIC की अहम भूमिका और अगला कदम
LIC, जो SBI में सरकार के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदार है (9.38%), पिछली बार 2017 के QIP में लगभग 50% हिस्सा खरीद चुकी है। इस बार भी उम्मीद है कि LIC इस फंड रेजिंग में बड़ी हिस्सेदारी खरीदेगी। SBI की इस QIP को 3 मई 2025 को बोर्ड की मंज़ूरी मिल चुकी है और बैंक अब मार्केट कंडीशन्स के अनुसार आने वाले महीनों में इसे लॉन्च कर सकता है।
निष्कर्ष:
SBI का यह ₹25,000 करोड़ का QIP न सिर्फ एक पूंजी जुटाने की प्रक्रिया है, बल्कि एक बैंकिंग इवेंट बन गया है। जहां मर्चेंट बैंकों की प्रतिष्ठा, सरकार की हिस्सेदारी और LIC की रणनीति — तीनों का महत्वपूर्ण मेल देखने को मिल रहा है। अगर आप भी शेयर मार्केट से जुड़े हैं या SBI में निवेश करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है।
F.A.Q.
– SBI QIP क्या है और यह क्यों किया जा रहा है?
QIP यानी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के ज़रिए SBI संस्थागत निवेशकों को शेयर जारी कर ₹25,000 करोड़ जुटाना चाहता है। इसका मकसद बैंक की कॉमन इक्विटी टियर-1 पूंजी को बढ़ाना और भविष्य की ग्रोथ के लिए वित्तीय स्थिति को मजबूत करना है।
– QIP के ज़रिए पैसे जुटाने का तरीका बाकी विकल्पों से बेहतर कैसे है?
QIP एक तेज़ और सरल तरीका है, जिसमें कंपनी बिना लंबी रेगुलेटरी प्रक्रिया के सीधे संस्थागत निवेशकों से पूंजी जुटा सकती है। यह राइट्स इश्यू या एफपीओ की तुलना में समय और लागत दोनों के लिहाज़ से अधिक फायदेमंद है।
– LIC की क्या भूमिका रहेगी इस QIP में?
LIC, SBI की दूसरी सबसे बड़ी शेयरधारक है (9.38% हिस्सेदारी)। पिछली बार 2017 के QIP में LIC ने लगभग 50% हिस्सेदारी खरीदी थी। इस बार भी माना जा रहा है कि LIC एक बड़ा निवेशक बनकर उभरेगी।
– SBI QIP शेयर बाजार में कब लॉन्च होगा?
SBI बोर्ड ने इस QIP को 3 मई 2025 को मंज़ूरी दी थी। हालांकि, इसका असल लॉन्च बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। बैंक आने वाले कुछ महीनों में इस डील को अंजाम दे सकता है।
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