क्या आपको पता है कि आज जब आप शेयर बाजार में निवेश का फैसला लेते हैं, तो उसके पीछे किसी इंसान की नहीं बल्कि एक मशीन की सोच होती है? जी हां, अब आपकी निवेश रणनीतियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) से संचालित सॉफ्टवेयर तय कर रहे हैं। यही वजह है कि अब बाजार नियामक SEBI (सेबी) भी इस तकनीक पर लगाम कसने की तैयारी में है।

शेयर बाजार में AI की दखल अंदाजी
स्टॉक मार्केट अब केवल ट्रेडर्स और निवेशकों के दिमाग से नहीं चलता। आज AI का इस्तेमाल एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, मार्केट सर्विलेंस, और यहां तक कि इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी में भी हो रहा है। कई ब्रोकरेज फर्म्स निवेशकों को AI-आधारित सलाह दे रही हैं, म्यूचुअल फंड्स AI से पोर्टफोलियो डिज़ाइन कर रहे हैं और स्टॉक एक्सचेंज अनियमितताओं को पकड़ने के लिए मशीन लर्निंग का सहारा ले रहे हैं।
लेकिन इस तकनीक के साथ खतरे भी हैं – ट्रांसपेरेंसी की कमी, डेटा की सुरक्षा, और बायस्ड एल्गोरिदम। इन्हीं खतरों को देखते हुए अब सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें AI/ML के जिम्मेदार उपयोग को लेकर पांच प्रमुख गाइडलाइंस प्रस्तावित की गई हैं।
सेबी का 5-पॉइंट फ्रेमवर्क
सेबी का मानना है कि तकनीक और निवेशक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। इसीलिए ये पांच दिशानिर्देश तय किए गए हैं:
- प्रभावी गवर्नेंस और जवाबदेही:
हर कंपनी को एक AI/ML टीम बनानी होगी, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ हों। यह टीम मॉडल के निर्माण, डेटा सोर्स और निर्णय प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड रखेगी। अगर थर्ड-पार्टी AI वेंडर है, तो उसकी जिम्मेदारी भी उस कंपनी की होगी। - इन्वेस्टर के प्रति पारदर्शिता:
अगर किसी सेवा (जैसे एल्गो ट्रेडिंग या सलाह) में AI का उपयोग हो रहा है, तो निवेशकों को यह स्पष्ट रूप से बताया जाएगा – जोखिम क्या हैं, सटीकता कितनी है, और इसकी सीमाएं क्या हैं। यह जानकारी आम भाषा में होनी चाहिए। - सिस्टम की टेस्टिंग और ऑडिटिंग:
किसी भी AI मॉडल को लाइव उपयोग में लाने से पहले सिमुलेटेड वातावरण में टेस्टिंग जरूरी होगी। सभी डाटा को कम से कम 5 साल तक स्टोर करना अनिवार्य होगा। साथ ही, समय-समय पर मॉडल को अपडेट और ऑडिट किया जाएगा। - डेटा क्वालिटी और बायस से बचाव:
एआई में बायस (पक्षपात) एक गंभीर समस्या है। सेबी का सुझाव है कि डाइवर्स और हाई-क्वालिटी डेटा का उपयोग हो, स्टाफ को बायस पहचानने और सुधारने की ट्रेनिंग दी जाए। - डेटा प्राइवेसी और साइबर सिक्योरिटी:
कंपनियों को सख्त साइबर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल अपनाने होंगे। यूजर डेटा का दुरुपयोग ना हो, इसके लिए स्पष्ट गोपनीयता नीति और मजबूत तकनीकी उपाय जरूरी होंगे।
जोखिम जितना बड़ा, नियम उतने कड़े
सेबी ने साफ किया है कि जो AI मॉडल केवल इंटरनल यूज़ के लिए हैं, उनके लिए नियम थोड़े नरम होंगे। लेकिन जो मॉडल सीधे निवेशकों को प्रभावित करते हैं, जैसे कि ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी, उनके लिए नियम सख्त होंगे। यानी जितना बड़ा जोखिम, उतनी बड़ी जवाबदेही।
निवेशक के लिए राहत
इस पहल का उद्देश्य AI के जिम्मेदार और सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देना है। सेबी का यह रुख बताता है कि तकनीक का स्वागत है, लेकिन बिना निगरानी के नहीं। आम निवेशक के लिए यह भरोसे की बात है कि अब AI के पीछे भी एक मानव समझदारी का पहरा रहेगा।
F.A.Q.
– क्या वाकई अब इंसान की जगह AI शेयर बाजार में फैसले ले रहा है?
हाँ, आजकल कई ब्रोकरेज फर्म, म्यूचुअल फंड हाउस और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करके ऑटोमेटेड निवेश निर्णय ले रहे हैं। ये सॉफ्टवेयर तेजी से बाजार डेटा एनालाइज़ करके ट्रेंड्स का अनुमान लगाते हैं और फैसले लेते हैं।
– क्या निवेशकों को बताया जाएगा कि AI का उपयोग हो रहा है?
हाँ, अगर किसी सेवा में AI का सीधा उपयोग हो रहा है, जैसे एल्गो ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी, तो कंपनी को यह साफ-साफ और आसान भाषा में बताना होगा, साथ ही उससे जुड़े जोखिम, सटीकता और सीमाओं की जानकारी भी देनी होगी।
– क्या सभी AI मॉडल पर ये नियम लागू होंगे?
नहीं, SEBI का कहना है कि केवल वही AI मॉडल जो सीधे निवेशकों को प्रभावित करते हैं, उन पर सख्त नियम लागू होंगे। जो मॉडल सिर्फ आंतरिक प्रयोग के लिए हैं, उनके लिए नियम थोड़े नरम होंगे।
– SEBI का ये कदम निवेशकों के लिए क्यों जरूरी है?
AI में डेटा बायस, ट्रांसपेरेंसी की कमी और गलत निर्णय की संभावना होती है। SEBI का यह कदम निवेशकों को इन खतरों से बचाने, बाजार में भरोसा बनाए रखने और तकनीक के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है।
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