भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ₹25 लाख का जुर्माना लगाया है।
इस जुर्माने की खबर सामने आते ही बीएसई के शेयरों पर दबाव देखा गया, हालांकि लॉन्ग टर्म निवेशकों को एक्सपर्ट्स घबराने की सलाह नहीं दे रहे हैं। आइए समझते हैं क्या है मामला, सेबी की आपत्तियां क्या हैं, और इसका असर निवेशकों पर क्या पड़ेगा।

सेबी की जांच में BSE में क्या-क्या गड़बड़ियां सामने आईं?
SEBI द्वारा की गई जांच के मुताबिक, फरवरी 2021 से सितंबर 2022 के बीच BSE के सिस्टम में सूचना वितरण में पारदर्शिता की कमी पाई गई। एक्सचेंज की लिस्टिंग कंप्लायंस मॉनिटरिंग टीम और कुछ खास पेड ग्राहक कंपनी की कॉर्पोरेट फाइलिंग्स सार्वजनिक होने से पहले ही देख सकते थे। इससे एक सामान्य निवेशक की तुलना में इन पेड क्लाइंट्स को पहले एक्सेस मिल रहा था, जो अनफेयर ट्रेडिंग प्रैक्टिस के अंतर्गत आता है।
इसके अलावा, SEBI ने यह भी पाया कि BSE ने उन ब्रोकरों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए जो बार-बार क्लाइंट कोड में बदलाव कर रहे थे। गलत अकाउंट्स से ट्रेडिंग की जांच अधूरी रही और बिना उचित प्रक्रिया के क्लाइंट कोड बदले गए, जो नियामकीय उल्लंघन है।
BSE की सफाई: तकनीकी चूक या जानबूझकर की गई गलती?
BSE ने सेबी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ये खामियां जानबूझकर नहीं बल्कि तकनीकी कारणों से हुईं। उनका कहना है कि डाटा डिलीवरी में जो फर्क था, वह मिलीसेकंड्स का था और वह भी सर्वर आर्किटेक्चर और सिस्टम सिंकिंग में देरी के कारण। एक्सचेंज ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे न तो निवेशकों को नुकसान हुआ और न ही BSE को कोई फायदा मिला।
हालांकि SEBI ने BSE की इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि बतौर मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन, BSE की जिम्मेदारी है कि वह ऐसा सिस्टम बनाए जिसमें सूचना का एकसमान और निष्पक्ष वितरण हो, और किसी को भी पहले डेटा न मिले – चाहे जानबूझकर या अनजाने में।
जुर्माने का असर BSE Share पर
SEBI की कार्रवाई के बाद BSE के शेयरों पर हल्का दबाव देखा गया। निवेशक थोड़े सतर्क जरूर दिखे, लेकिन बाजार विशेषज्ञ इस पूरे मामले को कॉर्पोरेट गवर्नेंस से जुड़ा एक सुधार योग्य मुद्दा मानते हैं। उनका कहना है कि लॉन्ग टर्म में BSE की स्थिति मजबूत बनी रहेगी।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह जुर्माना अल्पकालिक प्रभाव डाल सकता है, लेकिन कंपनी की फंडामेंटल मजबूती और भविष्य की ग्रोथ संभावनाएं अब भी आकर्षक हैं। खासकर जब आने वाले समय में NSE का IPO आने की संभावना है, तो BSE निवेशकों के रडार पर बना रहेगा।
निष्कर्ष:
SEBI की सख्ती ने यह साफ कर दिया है कि बाजार में पारदर्शिता सर्वोपरि है। BSE जैसी प्रतिष्ठित संस्था को भी अपने सिस्टम और प्रोसेसेज़ में पारदर्शिता बनाए रखनी होगी। फिलहाल निवेशकों के लिए घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता और सही जानकारी के साथ निवेश करना जरूरी है।
F.A.Q.
– SEBI ने BSE पर जुर्माना क्यों लगाया है?
SEBI ने BSE पर ₹25 लाख का जुर्माना इसलिए लगाया क्योंकि जांच में पाया गया कि BSE ने कुछ पेड ग्राहकों को कंपनियों की कॉर्पोरेट फाइलिंग्स की जानकारी आम निवेशकों से पहले उपलब्ध करवाई। इसके अलावा, कई ब्रोकर्स द्वारा क्लाइंट कोड में बदलाव करने पर उचित कार्रवाई नहीं की गई थी।
– यह उल्लंघन किस नियम के तहत आता है?
यह उल्लंघन SEBI Act की धारा 15HP के अंतर्गत आता है। साथ ही, BSE ने 2004, 2011 और 2021 में जारी किए गए SEBI सर्कुलरों का भी उल्लंघन किया है, जो सूचना वितरण और निष्पक्षता सुनिश्चित करने से संबंधित हैं।
– BSE ने अपनी सफाई में क्या कहा है?
BSE का कहना है कि यह एक तकनीकी चूक थी, जानबूझकर नहीं की गई। डाटा डिलीवरी में अंतर मिलीसेकंड्स का था, जो सर्वर आर्किटेक्चर और सिंक्रोनाइज़ेशन में देरी के कारण हुआ। BSE ने यह भी दावा किया कि इससे न तो निवेशकों को नुकसान हुआ और न ही एक्सचेंज को लाभ।
– इस जुर्माने का बीएसई के शेयर पर क्या असर पड़ा है?
जुर्माने की खबर के बाद गुरुवार को BSE के शेयरों पर दबाव देखा गया। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि लॉन्ग टर्म में स्टॉक पर इसका बहुत बड़ा असर नहीं होगा, क्योंकि कंपनी की बुनियादी स्थिति मजबूत है।
– क्या निवेशकों को BSE के शेयर बेचने चाहिए?
बाजार विशेषज्ञों की राय में फिलहाल BSE एक सॉलिड कंपनी है और यह स्टॉक लॉन्ग टर्म ग्रोथ दिखा सकता है। इसलिए इसे वॉच लिस्ट में बाय साइड में रखना बेहतर माना जा रहा है, न कि सेल साइड में। हालांकि वैल्यूएशन थोड़ा महंगा है, फिर भी यह एक हॉट स्टॉक बना हुआ है।
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