पिछले हफ्ते शेयर बाजार में जो हलचल दिखी, उसने निवेशकों को थोड़ा सोचने पर मजबूर कर दिया। अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी को लेकर साफ तस्वीर नहीं है और डोनाल्ड ट्रंप लगातार नए देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं।
इस बीच भारत और अमेरिका दोनों जगहों पर कंपनियों के तिमाही नतीजे आने वाले हैं, जिनका असर बाजार पर दिखेगा। ऊपर से एफआईआई की बिकवाली और तकनीकी रूप से कमजोर चार्ट्स ने बाजार का मूड थोड़ा और बिगाड़ दिया है। आइए समझते हैं कि किन बातों पर ध्यान देना जरूरी है।

अमेरिका की ट्रेड डील पर सस्पेंस बना हुआ
अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। ताजा फैसले में यूरोपियन यूनियन और मेक्सिको पर भी 30% का टैरिफ लगा दिया गया है। इससे ग्लोबल मार्केट्स में अनिश्चितता बढ़ गई है। जब तक अमेरिका और बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच कोई ठोस समझौता नहीं होता, तब तक भारतीय बाजार पर भी दबाव बना रह सकता है।
इस हफ्ते के नतीजों पर रहेगी सबकी नजर
इस हफ्ते भारत और अमेरिका दोनों जगहों पर बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे आने वाले हैं। भारत में खासकर आईटी और फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियां चर्चा में रहेंगी। HCL Tech, Wipro, Tech Mahindra, Jio Finance, ICICI Bank, Axis Bank, HDFC Bank, HDFC AMC, और Indian Hotels जैसी कंपनियों के नतीजे बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।
एफआईआई की बिकवाली और कच्चा तेल का दबाव
जुलाई में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में जोरदार बिकवाली की है। कैश मार्केट में ही उन्होंने ₹1,284 करोड़ के शेयर बेच डाले। इसके अलावा इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स में भी बिकवाली जारी है। साथ ही, ब्रेंट क्रूड करीब $80 के आसपास बना हुआ है, जिससे महंगाई का दबाव बढ़ सकता है। इन दोनों वजहों से बाजार में डर का माहौल दिख रहा है।
तकनीकी स्तर कमजोर, क्या कहता है चार्ट?
तकनीकी रूप से बाजार ने शुक्रवार को 20-डे मूविंग एवरेज के नीचे क्लोजिंग दी, जो कमजोरी का संकेत है। निफ्टी ने 25,000–25,300 के दायरे को बचाने की कोशिश की थी, लेकिन शुक्रवार को टूट गया। अब अगला सपोर्ट 24,950 के आसपास दिख रहा है। अगर इसके नीचे क्लोजिंग होती है तो निफ्टी 24,700–24,400 के स्तर तक जा सकता है। ऊपर की तरफ, तेजी तभी लौटेगी जब निफ्टी 25,350 के ऊपर टिके।
निवेशकों के लिए सलाह
इस समय जल्दबाज़ी करने के बजाय धैर्य रखना ही बेहतर है। जिन कंपनियों के नतीजे आने वाले हैं, वहां ज्यादा जोखिम लेने से बचें। जिनके पास पहले से निवेश है, वो स्टॉप लॉस का ध्यान रखें और किसी भी बड़े फैसले से पहले बाजार की स्थिति थोड़ी साफ होने दें। आने वाले दिनों में नतीजे और अमेरिका की ट्रेड डील की कोई बड़ी खबर बाजार का मूड बदल सकती है। तब तक सतर्क रहना समझदारी होगी।
F.A.Q.
– अमेरिका की ट्रेड डील का भारतीय बाजार पर इतना असर क्यों होता है?
क्योंकि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अगर वहां पर टैरिफ बढ़ते हैं या ट्रेड डील नहीं होती, तो ग्लोबल व्यापार में अनिश्चितता आती है, जिसका असर भारत के एक्सपोर्ट और निवेशकों के मूड पर पड़ता है।
– इस हफ्ते आने वाले तिमाही नतीजे बाजार के लिए क्यों अहम हैं?
नतीजों से कंपनियों की कमाई और भविष्य का अंदाजा मिलता है। अगर उम्मीद से बेहतर नतीजे आते हैं, तो स्टॉक्स चढ़ सकते हैं। कमजोर नतीजों से गिरावट आ सकती है।
– एफआईआई की बिकवाली का मतलब क्या है और यह क्यों होती है?
एफआईआई (Foreign Institutional Investors) जब भारतीय बाजार से पैसा निकालते हैं, तो शेयरों की डिमांड घटती है और दाम गिर सकते हैं। बिकवाली कई वजहों से होती है — ग्लोबल अनिश्चितता, डॉलर में मजबूती, या बेहतर मौके दूसरी जगह मिलने पर।
– ब्रेंट क्रूड के दाम बढ़ने से भारतीय बाजार पर क्या असर पड़ता है?
भारत तेल का बड़ा आयातक है। अगर तेल महंगा होगा तो देश की महंगाई बढ़ सकती है और इकॉनमी पर दबाव आ सकता है। इससे बाजार में नकारात्मकता आ जाती है।
– अभी निवेश करना सही रहेगा या इंतजार करना चाहिए?
अभी बाजार में अनिश्चितता ज्यादा है। जिनके पास पहले से निवेश है, उन्हें स्टॉप लॉस के साथ टिके रहना चाहिए। और जिनका निवेश नया है, वे थोड़ा इंतजार करके स्थिति साफ होने पर ही कदम उठाएं।
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