कारोबारी हफ्ते का पहला दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक रहा। उम्मीद के मुताबिक बाजार में अच्छी खरीदारी देखने को मिली और शुरुआती घंटों में ही सेंसेक्स और निफ्टी करीब 1% तक चढ़ गए। तमाम नेगेटिव ग्लोबल संकेतों के बावजूद घरेलू निवेशकों ने भारतीय बाजार पर भरोसा जताया। लेकिन इस उत्साह भरे माहौल के बीच Tata Motors के शेयर ने निवेशकों को बड़ा झटका दिया।
Tata Motors के शेयर में बाजार खुलते ही ताबड़तोड़ बिकवाली देखने को मिली। खबर लिखे जाने तक यह शेयर 4% की गिरावट के साथ ₹684 पर कारोबार कर रहा था। बीते एक हफ्ते में यह शेयर 5%, एक महीने में 6%, और पिछले छह महीनों में करीब 13% तक टूट चुका है। सालभर की बात करें तो इसमें 31% की भारी गिरावट देखने को मिली है। यानी अगस्त 2024 से शुरू हुई गिरावट अब तक थमी नहीं है।

JLR की कमजोर गाइडेंस बना गिरावट Tata Motors Share की वजह
Tata Motors के इस गिरावट के पीछे उसकी ब्रिटिश सब्सिडियरी Jaguar Land Rover (JLR) का कमजोर आउटलुक मुख्य वजह है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने प्रॉफिट मार्जिन और फ्री कैश फ्लो को लेकर निराशाजनक अनुमान पेश किए हैं। JLR ने FY26 के लिए EBITDA मार्जिन को 5% से 7% के बीच रहने की संभावना जताई है, जो पिछले साल के 8.5% के मुकाबले कम है।
इसके साथ ही कंपनी का फ्री कैश फ्लो, जो कि पिछले साल 1.5 बिलियन पाउंड था, अब लगभग शून्य रहने का अनुमान है। इसका मतलब यह है कि कंपनी की मुनाफे की स्थिति कमजोर हो सकती है और नकदी की स्थिति भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
Tata Motors की कुल आय का 71% हिस्सा JLR से आता है, जबकि मुनाफे में इसका योगदान 80% से ज्यादा है। ऐसे में JLR के कमजोर प्रदर्शन का सीधा असर Tata Motors पर पड़ता है।
दीर्घकालिक उम्मीदें, लेकिन तत्काल चिंता
JLR प्रबंधन ने FY27 और FY28 में 10% EBITDA मार्जिन और मजबूत फ्री कैश फ्लो हासिल करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके लिए कोई सटीक समयरेखा नहीं दी गई है। इससे निवेशकों की चिंता और बढ़ गई है। हालांकि कंपनी की बिक्री में मजबूती बनी हुई है, लेकिन प्रति यूनिट रेवेन्यू में कोई खास बढ़त नहीं दिख रही है।
Moody’s ने जताया भरोसा
जहां एक ओर बाजार में Tata Motors के प्रति निराशा दिखी, वहीं अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी Moody’s (MDES) ने कंपनी को लेकर भरोसा जताया है। MDES ने Tata Motors की रेटिंग BY1 पर बरकरार रखते हुए आउटलुक को पॉजिटिव बताया है। साथ ही JLR की रेटिंग भी BA2 से बढ़ाकर BA1 कर दी गई है।
MDES के मुताबिक, कंपनी की कंसोलिडेटेड क्रेडिट प्रोफाइल में लगातार सुधार हो रहा है। Tata Motors ने अपने कर्ज को घटाया है और आय में भी मजबूती दिखाई है, जिससे कंपनी का वित्तीय संतुलन बेहतर हुआ है।
डीमर्जर और भविष्य की रणनीति
Tata Motors अब अपने कमर्शियल व्हीकल व्यवसाय को एक अलग कंपनी के रूप में अलग करने की प्रक्रिया में है, जो अक्टूबर 2025 तक पूरी हो सकती है। डीमर्जर के बाद Tata Motors की नई इकाई में पैसेंजर व्हीकल और JLR शामिल होंगे, और JLR का योगदान 90% से अधिक हो सकता है। इससे कंपनी का फोकस पूरी तरह लग्जरी और पैसेंजर कार सेगमेंट पर होगा।
निवेशकों के लिए सलाह
JLR के कमजोर संकेतों के चलते Tata Motors के शेयर पर दबाव बना हुआ है, लेकिन Moody’s जैसी एजेंसी का भरोसा और दीर्घकालिक रणनीति निवेशकों के लिए उम्मीद की किरण है। फिलहाल इस शेयर में निवेश को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है और लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण अपनाना उचित रहेगा।
– Tata Motors का शेयर अचानक क्यों गिरा?
Tata Motors के शेयर में बुधवार को करीब 5–6% की तेजी से गिरावट आई क्योंकि इसकी ब्रिटिश सहायक कंपनी Jaguar Land Rover (JLR) ने वित्त वर्ष 2026 के लिए EBITDA मार्जिन के नए अनुमान (5–7%) और फ्री कैश फ्लो लगभग शून्य रहने की संभावना जताई। इसने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी।
– क्या US टैरिफ नीति का JLR के प्रदर्शन पर असर पड़ा है?
जी हाँ, अमेरिकी बाजार पर जारी टैरिफ नीति का JLR पर सीधा असर पड़ा है।
– Moody’s की रेटिंग से क्या संकेत मिलते हैं?
Moody’s ने Tata Motors की “Ba1” कॉर्पोरेट फैमिली रेटिंग की पुष्टि की और JLR की रेटिंग को “Ba2” से ऊपर उठाकर “Ba1” किया, साथ ही सकारात्मक आउटलुक रखा है।
इसके पीछे मुख्य कारण:–
कर्ज में कमी और नकदी प्रवाह व लाभ में सुधार।
डायवर्सिफाइड व्यवसाय मॉडल (CV, PV और EV), विशेषकर भारत में मजबूत बाजार हिस्सेदारी।
गवर्नेंस एवं राजस्व वृद्धि में सकारात्मक डाटा।
– निवेशक Tata Motors Share में अब क्या कदम रखें?
शॉर्ट टर्म: JLR और ग्लोबल मैक्रोफैक्टर्स (जैसे US टैरिफ) पर नजर रखकर सतर्कता महत्वपूर्ण है।
लॉन्ग टर्म: Moody’s की सकारात्मक रेटिंग और दीर्घकालिक रणनीति (FY27–28 में EBITDA को 10% तक बढ़ाना, EV रेंज शामिल) निवेश के लिहाज़ से आशाजनक हैं।
निवेशकों को जोखिम-प्रबंधन के साथ, दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और व्यक्तिगत वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
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