अप्रैल-मई में भारी बिकवाली के बाद क्या अब होगी बाजार में उथल-पुथल? जानिए FII की तीन बड़ी वजहें

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बाजार में अनिश्चितता का माहौल है और शेयर मार्केट में अनएक्सपेक्टेड मूड्स देखने को मिल रहे हैं। इसके साथ ही मॉरिशस के साथ भारत की टैक्स ट्रीटी में

बदलाव और यूएस बॉन्ड यील्ड्स में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इन सब कारणों से बाज़ार से FIIs लगातर बिकवाली कर रहे है, आनेवाले दिनों में भारतीय बाज़ार को लेकर FIIs की क्या रणनीति होता है आइए इसके बारे में बिस्तार से जानते है:-

अप्रैल-मई में भारी बिकवाली के बाद क्या अब होगी बाजार में उथल-पुथल जानिए FII की तीन बड़ी वजहें

भारतीय बाज़ार में FPI की लगातर बिकवाली

FPI ने मई में बाजार से 2586 करोड़ और अप्रैल में 8700 करोड़ रुपये से अधिक का नेट बिकवाली किया था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले FPI ने मार्च में 5098 करोड़ और फरवरी में 1539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।

हालांकि, जनवरी में उन्होंने 22743 करोड़ रुपये बाजार से निकाल लिए थे। बाजार के जानकारों के अनुसार, मीडियम से लेकर लॉन्ग टर्म के नजरिए से बात की जाएगी और इसमें विदेशी निवेशकों की नजर भारत में ब्याज दरों की दिशा पर होगी। हालांकि, एक महत्वपूर्ण आंकड़ा यह भी है कि FPI ने डेट मार्केट में 2000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश भी किया है।

चीनी मार्किट को लेकर FPI की नजरिए में बदलाव

कुछ मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार, चीनी शेयरों को लेकर FPI की निराशा अब खत्म होती दिख रही है और हांगकांग एक्सचेंज में लिस्टेड चीनी शेयरों में निवेश बढ़ने लगा है। इसके पीछे की एक बड़ी वजह चीनी शेयरों का आकर्षक मूल्यांकन है। इसी वजह से एक्सपर्ट यह भी उम्मीद कर रही है आनेवाले दिनों में थोड़ी बहुत बिकवाली FPI की तरफ से बरकारार रहने की उम्मीद जताई जा रही हैं।

बाज़ार में होगी FII की एंट्री

दरअसल, भाजपा को अपेक्षित से कम जनादेश मिलने के बावजूद भारत सबसे तेजी से विकास करने वाले उभरते बाजारों में से एक बना हुआ है। इसके पीछे तीन बड़े कारण हैं:

पहला, FII की अंडरवेट पोजिशनिंग। बाजार में हाल ही में हुई बिकवाली के बाद विदेशी निवेशक किसी भी महत्त्वपूर्ण डायमेंशन में भारतीय बाजार में ओवरवेट नहीं हैं। कई FII जो रिस्क ऑफ मोड में इंतजार कर रहे हैं, वह नई सरकार की नीतियों के स्पष्ट होते ही बाजार में फिर से एंट्री कर सकते हैं।

दूसरा कारण है, चीन फैक्टर। एक तरफ चीनी शेयरों में एफपीआई का इंटरेस्ट बढ़ रहा है, लेकिन पिछले डेढ़ महीने में “भारत खरीदो और चीन बेचो” पॉलिसी में बड़ा बदलाव हुआ है जो अस्थाई हो सकता है। इससे FII को भारतीय बाजार में खरीददार बनने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

एक्सपर्ट के अनुसार, FII को यह एहसास हो गया है कि भारत ही भविष्य है। वे पहले भी देख चुके हैं कि चीन में समस्याएं हैं और वे चीन के बाजार से दूर रहना चाहते हैं। उनमें से कुछ एफआईआई जो चीन में बुरी तरह फंस गए हैं, वे अब वापस नहीं जाना चाहते।

तीसरी बड़ी वजह है भारत की GDP ग्रोथ। भारत की GDP अच्छी ग्रोथ पर बरकरार रहने के कारण वैश्विक निवेशक अधिक पैसा भारतीय बाजार में लगा सकते हैं। इन तीन फैक्टर्स को आधार मानकर विदेशी निवेशकों के बायर्स बनने की उम्मीद की जा रही है।

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