वर्तमान समय में भारतीय शेयर बाजार अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। सितंबर के बाद से बाजार में भारी गिरावट देखी गई है, जिसने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। विशेष रूप से, पोर्टफोलियो में 30-40% तक की गिरावट देखने को मिली है, जिससे छोटे और मध्यम निवेशकों को अधिक नुकसान हुआ है।
एक्सपर्ट का कहना है कि यह गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक अवसर के रूप में देखी जानी चाहिए। उन्होंने इस करेक्शन को बाजार की स्वाभाविक प्रक्रिया बताया है और इसे दीर्घकालिक निवेशकों के लिए लाभकारी अवसर माना है।
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बाजार में करेक्शन और निवेशकों की प्रतिक्रिया
सितंबर में जब बाजार अपने उच्चतम स्तर पर था, तब कई निवेशक निवेश करने में हिचकिचा रहे थे। लेकिन जब 20% की गिरावट आई, तो उन्होंने खरीदारी शुरू कर दी। हालांकि, इसके बाद और गिरावट आई, जिससे वे घबरा गए। ऐसे में जिन निवेशकों ने ऊंचे स्तरों पर खरीदारी की थी, वे अब नुकसान में हैं।
फंड मैनेजरों का मानना है कि जिन निवेशकों ने बिना उचित शोध किए सिर्फ ट्रेंड के आधार पर निवेश किया, वे अधिक प्रभावित हुए हैं। वहीं, जो निवेशक बाजार की ऐतिहासिक गिरावटों से परिचित हैं, वे इसे दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं और अपने निवेश को लेकर धैर्य बनाए हुए हैं।
निवेशकों के लिए निवेश रणनीति
देवांक काबरा के अनुसार, सही निवेश रणनीति यह सुनिश्चित करती है कि निवेशक अत्यधिक वैल्यूएशन पर निवेश न करें। उनकी टीम ने हमेशा उचित मूल्यांकन के आधार पर स्टॉक्स का चयन किया है, जिससे उन्हें अधिक नुकसान नहीं हुआ है। उनके अनुसार, निवेशकों को निम्नलिखित रणनीतियों को अपनाना चाहिए:
- लंबी अवधि की सोच: बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से निवेश करना ही लाभकारी होता है।
- गहन शोध करें: बिना रिसर्च के निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। कंपनियों के फंडामेंटल्स को समझकर ही निवेश करें।
- घबराहट में निर्णय न लें: बाजार में गिरावट के समय घबराकर स्टॉक्स न बेचें, बल्कि सही अवसर का इंतजार करें।
- नए अवसरों की तलाश: जिन कंपनियों के शेयर आकर्षक मूल्य पर उपलब्ध हैं, उनमें निवेश करने पर विचार करें।
बजट और सरकारी नीतियों का बाज़ार पर प्रभाव
बाजार में अस्थिरता का एक कारण सरकार की नीतियां भी हैं। हाल ही में, कैपिटल गेन टैक्स और सेबी के नए नियमों के चलते बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा, एफएंडओ सेगमेंट में बढ़ते नियमों के कारण भी निवेशक सतर्क हो गए हैं।
देवांक काबरा का मानना है कि सरकार को बजट में ऐसी नीतियां लानी चाहिए जो बाजार को स्थिरता प्रदान करें। उनकी मुख्य अपेक्षाएं निम्नलिखित हैं:
- टैक्स स्ट्रक्चर में स्थिरता: लगातार टैक्स नियमों में बदलाव से निवेशक असमंजस में पड़ जाते हैं। सरकार को टैक्स की दरों को सरल और स्थिर रखना चाहिए।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा: इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर में सरकारी निवेश से बाजार को सकारात्मक दिशा मिल सकती है।
- विनियमन में पारदर्शिता: म्यूचुअल फंड और पीएमएस नियमों को सरल बनाना चाहिए ताकि निवेशकों का विश्वास बना रहे।
किन सेक्टर्स में निवेश करें?
बाजार में गिरावट के बावजूद कुछ सेक्टर्स में निवेश के अच्छे अवसर बने हुए हैं। फंड मैनेजर्स का मानना है कि निवेशकों को निम्नलिखित सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए:
- मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर: सरकार की पीएलआई योजनाओं के चलते इस क्षेत्र में वृद्धि की संभावना है।
- रिन्यूएबल एनर्जी: भविष्य में इस क्षेत्र में वृद्धि देखने को मिलेगी, जिससे इससे जुड़े कंपनियों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।
- कंज्यूमर सेक्टर: लंबे समय में बी2सी कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं।
- टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेक्टर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाउड कंप्यूटिंग से जुड़े स्टॉक्स में निवेश करना लाभदायक हो सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में मौजूदा करेक्शन दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। हालांकि, निवेशकों को सतर्कता और रिसर्च के आधार पर निर्णय लेने की आवश्यकता है। सरकारी नीतियों का प्रभाव बाजार पर पड़ता रहेगा, लेकिन मजबूत कंपनियों में निवेश करने से दीर्घकालिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सही रणनीति अपनाकर और धैर्य रखते हुए निवेश करने से निवेशकों को अच्छे रिटर्न्स मिल सकते हैं।
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Disclaimer:- “sharemarketin.com पर हम यह स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि हम किसी भी खबर या लक्ष्य को सही होने का दावा नहीं कर रहे हैं। इस वेबसाइट पर दी जाने वाली जानकारियाँ हमारी शेयर मार्किट की लम्बे समय का अनुभव के आधार पर हैं। यदि आप किसी शेयर में निवेश करना चाहते हैं, तो कृपया उसे स्वयं विश्लेषण करें और अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह प्राप्त करें, इसके बाद ही किसी निवेश के फैसले पर विचार करें।”