भारत की आर्थिक यात्रा में मध्यम वर्ग की भूमिका किसी “अदृश्य स्तंभ” से कम नहीं है। यह वह वर्ग है जो अपनी मेहनत, ईमानदारी और दूरदर्शिता से देश के विकास को गति देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने हमेशा मध्यम वर्ग की इस सामर्थ्य को पहचाना है और उनके जीवन को आसान बनाने के लिए निरंतर कर सुधारों को प्राथमिकता दी है। आइए, जानते हैं कि कैसे यह सरकार मध्यम वर्ग, डिजिटलीकरण और रोजगार को बढ़ावा देने वाली नीतियों के ज़रिए “विकसित भारत” के सपने को साकार कर रही है।

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मध्यम वर्ग पर भरोसा, कर बोझ में कमी
2014 के बाद से मध्यम वर्ग के लिए करों में छूट की शुरुआत हुई। पहले करमुक्त आय सीमा ₹2.5 लाख की गई, फिर 2019 में इसे बढ़ाकर ₹5 लाख और 2023 में ₹7 लाख कर दिया गया। अब, एक बड़ी सौगात देते हुए वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि ₹12 लाख तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा। यह निर्णय न केवल मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाएगा, बल्कि उनकी बचत और निवेश को भी प्रोत्साहित करेगा। यह सरकार के उस विश्वास को दर्शाता है कि मध्यम वर्ग देश की प्रगति का आधार है।
डिजिटलीकरण और विवाद समाधान: कर प्रक्रिया को सरल बनाना
कर प्रणाली में पारदर्शिता और सुगमता लाने के लिए डिजिटलीकरण को प्रमुखता दी जा रही है। जुलाई 2024 से “विवाद से विश्वास” योजना को लागू किया गया, जिसके तहत अपील में लंबित कर विवादों का शीघ्र निपटान हो सके। इस योजना ने करदाताओं का भरपूर समर्थन पाया है—लगभग 33,000 करदाताओं ने अपने विवाद सुलझाकर सरकार के प्रयासों में भागीदारी निभाई है। यह कदम न केवल कर प्रशासन में विश्वास बढ़ाएगा, बल्कि नागरिकों को एक तनावमुक्त कर अनुभव भी देगा।
रोजगार और निवेश को बढ़ावा: नई पहल
सरकार ने रोजगार सृजन और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई प्रस्ताव पेश किए हैं:
- प्रेज़म्प्टिव टैक्सेशन का विस्तार: इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन इकाइयों से जुड़े विदेशी सेवा प्रदाताओं के लिए एक सरलीकृत कर व्यवस्था प्रस्तावित है। इससे मेक इन इंडिया को गति मिलेगी।
- इनलैंड जलमार्ग को प्रोत्साहन: अब तक टोन्नेज टैक्स लाभ केवल समुद्री जहाज़ों को मिलते थे, लेकिन अब इनलैंड वेसल्स (अंतर्देशीय जलपोत) को भी यह सुविधा दी जाएगी। इससे परिवहन लागत घटेगी और जलमार्गों का विकास होगा।
- स्टार्टअप्स के लिए समयसीमा बढ़ी: स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती देने के लिए, कर छूट का लाभ लेने वाले स्टार्टअप्स की पंजीकरण तिथि 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दी गई है। यह युवा उद्यमियों को नवाचार के लिए अधिक समय देगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश में निश्चितता
इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में सॉवरेन वेल्थ फंड्स और पेंशन फंड्स के निवेश को आकर्षित करने के लिए, 31 मार्च 2030 तक की अवधि बढ़ाई गई है। साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने वाले AIF (अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स) को टैक्स निश्चितता प्रदान की जाएगी। इससे देश में बुनियादी ढाँचे के विकास को नई गति मिलेगी।
IFSC: वैश्विक निवेश का केंद्र
गुजरात के गिफ्ट सिटी में स्थित इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) को और मज़बूती देने के लिए शिप लीज़िंग, इंश्योरेंस और ग्लोबल ट्रेजरी सेंटर्स को विशेष कर छूट दी जाएगी। साथ ही, IFSC में इकाइयों की स्थापना की समयसीमा भी 5 साल बढ़ाकर 2030 कर दी गई है। यह कदम भारत को वैश्विक वित्तीय हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष: सबका साथ, सबका विकास
ये सुधार केवल आर्थिक आँकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये उस “मध्यम वर्गीय सपने” को सच करने की दिशा में उठाए गए कदम हैं, जहाँ हर व्यक्ति की बचत सुरक्षित है, कर प्रक्रिया सरल है, और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हैं। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों के साथ यह कर सुधार नीति भारत को एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगी।
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