सोचिए एक ऐसा दिन जब शेयर बाजार किसी जुए के मैदान जैसा लगने लगे। चारों तरफ अफरा-तफरी, मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर लाल और हरे रंग की झिलमिलाहट, और हर किसी की नजर सिर्फ एक ही चीज़ पर — आज की एक्सपायरी में मुनाफा होगा या नुकसान? यह नजारा आमतौर पर एक्सपायरी डे का होता है, खासतौर पर जब बात फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग की हो।

क्या है एक्सपायरी डे और क्यों है ये इतना अहम?
F&O यानी फ्यूचर्स और ऑप्शंस शेयर बाजार के ऐसे टूल्स हैं, जिनमें निवेशक किसी स्टॉक या इंडेक्स पर दांव लगाते हैं, लेकिन उसे सीधे खरीदते नहीं। ये एक निश्चित समय सीमा तक वैध रहते हैं और जिस दिन यह समय सीमा खत्म होती है, उसे एक्सपायरी डे कहा जाता है।
एक्सपायरी डे पर ट्रेडिंग वॉल्यूम सबसे ज्यादा होता है। निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए यह दिन सबसे ज्यादा मुनाफा या नुकसान देने वाला साबित होता है। भारी उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता इस दिन का हिस्सा होती है।
अब तक क्या होता था?
अब तक NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) और BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) — दोनों की वीकली एक्सपायरी हर गुरुवार को होती थी। इसका मतलब था कि एक ही दिन पर दोनों एक्सचेंज का पूरा लोड, जिससे बाजार में अत्यधिक वोलैटिलिटी, लिक्विडिटी क्रंच, और छोटे निवेशकों के लिए उच्च जोखिम का माहौल बनता था।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अब एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। इसके तहत:
- NSE की वीकली एक्सपायरी अब मंगलवार को होगी।
- BSE की वीकली एक्सपायरी अब गुरुवार को ही रहेगी।
यह नया नियम 1 सितंबर 2025 से पूरी तरह लागू होगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
SEBI का मानना है कि एक ही दिन दो बड़े एक्सचेंज की एक्सपायरी से बाजार में अत्यधिक हलचल होती है। इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम अचानक बढ़ जाता है, जिससे सिस्टम पर दबाव, निवेशकों के लिए अधिक रिस्क और बाजार में अस्थिरता पैदा होती है।
मार्च 2025 में SEBI ने एक कंसल्टेशन पेपर निकाला था, जिसमें दोनों एक्सचेंज से उनकी राय मांगी गई थी। NSE ने शुरुआत में सोमवार को चुना, लेकिन ट्रेडर्स के विरोध के बाद इसे बदलकर मंगलवार कर दिया गया। BSE ने पहले से ही गुरुवार का प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई।
मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स का क्या होगा?
- जो कॉन्ट्रैक्ट्स 31 अगस्त 2025 तक एक्सपायर होंगे, उनकी एक्सपायरी पहले की तरह ही होगी।
- 1 सितंबर 2025 के बाद से आने वाले सभी नए कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए NSE की एक्सपायरी मंगलवार और BSE की गुरुवार को होगी।
- मंथली एक्सपायरी भी अब इसी सिस्टम पर आधारित होगी।
इस फैसले का बाजार और निवेशकों पर क्या असर होगा?
- छोटे निवेशकों को राहत — एक ही दिन दोनों एक्सचेंज का तनाव नहीं झेलना पड़ेगा।
- ट्रेडर्स को अपनी रणनीति बदलनी होगी — दो एक्सपायरी डे का मतलब अलग-अलग सेटअप और हेजिंग की रणनीति।
- लिक्विडिटी बेहतर बंटेगी, जिससे बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता आएगी।
- सट्टेबाजी की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
निष्कर्ष
SEBI का यह फैसला न सिर्फ एक तकनीकी सुधार है, बल्कि यह निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया इन्वेस्टर-फ्रेंडली कदम भी है। जो लोग F&O ट्रेडिंग करते हैं, उनके लिए अब जरूरी हो गया है कि वे अपनी रणनीति और ट्रेडिंग कैलेंडर में बदलाव करें।
1 सितंबर 2025 के बाद भारतीय शेयर बाजार में ट्रेडिंग का पूरा पैटर्न बदल जाएगा। अगर आप एक एक्टिव ट्रेडर हैं, तो अब वक्त है नई रणनीति अपनाने का।
F.A.Q.
– NSE और BSE की नई वीकली एक्सपायरी कब से लागू होगी?
NSE और BSE की अलग-अलग वीकली एक्सपायरी की व्यवस्था 1 सितंबर 2025 से लागू होगी। इसके बाद NSE की एक्सपायरी हर मंगलवार और BSE की एक्सपायरी हर गुरुवार को होगी।
– क्या पहले से चल रहे F&O कॉन्ट्रैक्ट्स पर भी इसका असर पड़ेगा?
नहीं। 31 अगस्त 2025 तक जो भी कॉन्ट्रैक्ट्स चल रहे हैं, उनकी एक्सपायरी पुराने नियमों के अनुसार ही होगी। बदलाव केवल 1 सितंबर 2025 के बाद शुरू होने वाले नए कॉन्ट्रैक्ट्स पर लागू होगा।
– इस बदलाव से छोटे निवेशकों को क्या फायदा होगा?
पहले एक ही दिन दो एक्सचेंज की एक्सपायरी होने से बाजार में अत्यधिक वोलैटिलिटी और रिस्क होता था। अब दो अलग-अलग दिन होने से तनाव कम, फोकस बेहतर, और लिक्विडिटी बंटी रहेगी, जिससे छोटे निवेशकों को राहत मिलेगी।
– क्या यह बदलाव मासिक (Monthly) एक्सपायरी पर भी लागू होगा?
जी हां। मासिक एक्सपायरी भी अब इसी पैटर्न पर होगी। यानी NSE के कॉन्ट्रैक्ट्स की मंथली एक्सपायरी उस महीने के आखिरी मंगलवार को और BSE के कॉन्ट्रैक्ट्स की आखिरी गुरुवार को होगी।
– क्या इस फैसले से ऑप्शन ट्रेडर्स को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी?
हां। ट्रेडर्स को अब अपनी एक्सपायरी आधारित रणनीतियों को दो भागों में बांटना होगा, एक NSE के लिए (मंगलवार) और दूसरी BSE के लिए (गुरुवार)। इससे हेजिंग और रोलओवर प्लानिंग भी अलग-अलग करनी पड़ेगी।
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