कभी भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री में Reliance Communications (आरकॉम) का दबदबा था। लेकिन जिस तेजी से कंपनी ने ऊंचाइयों को छुआ, उतनी ही तेजी से वह धराशायी भी हो गई। अब इस डूबती हुई कंपनी को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने Reliance Communications के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित कर दिया है।
बैंक ने Reliance Communications और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी की रिपोर्ट आरबीआई को भेजने की तैयारी भी शुरू कर दी है। कंपनी ने अपनी एक फाइलिंग में यह स्वीकारा कि मामला अगस्त 2016 से लंबित है। सवाल यह है कि आखिर क्या वजह रही कि एसबीआई ने फॉरेंसिक ऑडिट कराकर Reliance Communications को फ्रॉड करार दिया? और कैसे अनिल अंबानी ने चोटी से फर्श तक का सफर तय किया? आइए जानते हैं।

Reliance Communications के कर्ज का पैसा कहां गया?
Reliance Communications और उसकी सहयोगी कंपनियों ने बैंकों से कुल ₹31,580 करोड़ का कर्ज लिया था। फिलहाल कंपनी दिवालियापन प्रक्रिया से गुजर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक लोन की रकम का बड़ा हिस्सा अन्य जगहों पर ट्रांसफर हुआ।
- करीब 44% (₹13,667 करोड़) पुराने कर्ज चुकाने में लगाया।
- 41% (₹12,692 करोड़) ग्रुप की ही अन्य कंपनियों को दिया।
- बाकी ₹6,265 करोड़ अन्य बैंकों के लोन चुकाने में इस्तेमाल हुए।
- ₹5,501 करोड़ और देना बैंक से लिया गया ₹250 करोड़ संदिग्ध लेनदेन में शामिल रहे।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि रकम को इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट (ICD) के जरिए ग्रुप कंपनियों में घुमाया गया और कहा गया कि इसे विदेशी कर्ज चुकाने में लगाया गया। कुल मिलाकर, Reliance Communications, आरआईटीएल और आरटीएल ने ₹41,863 करोड़ के इंटर-कॉर्पोरेट ट्रांजैक्शन किए, जिनमें से सिर्फ ₹28,421 करोड़ के उपयोग का स्पष्ट रिकॉर्ड था।
कैसे हुई साम्राज्य की बर्बादी?
धीरूभाई अंबानी ने 1958 में रिलायंस की नींव रखी थी। उनके निधन (2002) के बाद मुकेश और अनिल अंबानी के बीच बिजनेस का बंटवारा हुआ। मुकेश को तेल-रसायन का पारंपरिक कारोबार मिला और अनिल को टेलीकॉम, पावर और फाइनेंस जैसे नए जमाने के सेक्टर।
2008 में अनिल अंबानी दुनिया के छठे सबसे अमीर इंसान बने। लेकिन आज उनकी कंपनियां बिकने की कगार पर हैं।
अनिल अंबानी की 5 बड़ी गलतियां
१. जल्दबाजी और बिना तैयारी के विस्तार — नए प्रोजेक्ट्स में जल्दबाजी में निवेश किया, जिसकी कोई ठोस योजना नहीं थी।
२. लागत बढ़ती रही, रिटर्न घटता गया — पावर और टेलीकॉम प्रोजेक्ट्स में लागत अनुमान से ज्यादा आई और मुनाफा नहीं मिला।
३. फोकस की कमी — किसी एक सेक्टर में ध्यान केंद्रित करने की बजाय एक के बाद एक नए सेक्टर्स में उतरते गए।
४. कर्ज का बोझ — ज्यादा कर्ज लेकर प्रोजेक्ट्स पूरे करने की कोशिश की, लेकिन रिटर्न कम मिलने से कर्ज चुकाना मुश्किल हो गया।
५. गलत फैसले और बिना रणनीति के प्रतिस्पर्धा — प्रतिस्पर्धा में उतरने के लिए जल्दबाजी में फैसले लिए और ग्लोबल मंदी ने रही-सही कसर पूरी कर दी।
Reliance Communications की सबसे बड़ी गलती सीडीएमए टेक्नोलॉजी पर दांव लगाना भी थी, जो जीएसएम के मुकाबले महंगा और घाटे का सौदा साबित हुआ।
निष्कर्ष
एसबीआई की रिपोर्ट ने एक बार फिर अनिल अंबानी के कारोबारी फैसलों और उनके नतीजों को उजागर कर दिया है। कभी 4 लाख करोड़ की वैल्यू वाली कंपनियों का साम्राज्य अब दिवालियापन की कगार पर है।
कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। Reliance Communications का भविष्य क्या होगा, यह देखना बाकी है। तब तक बिजनेस जगत की ऐसी और खबरों के लिए जुड़े रहिए।
F.A.Q.
– SBI ने Reliance Communications को फ्रॉड क्यों घोषित किया?
SBI ने फॉरेंसिक ऑडिट के बाद पाया कि कंपनी ने लोन की रकम को गलत तरीके से ग्रुप कंपनियों में ट्रांसफर किया और उसका इस्तेमाल तयशुदा उद्देश्यों के लिए नहीं किया।
– Reliance Communications पर कितना कर्ज था?
Reliance Communications और उसकी सहयोगी कंपनियों पर कुल करीब ₹31,580 करोड़ का कर्ज था, जिसे कंपनी चुका नहीं पाई।
– अनिल अंबानी की सबसे बड़ी गलती क्या थी?
बिना तैयारी के विस्तार, भारी कर्ज लेना, गलत तकनीकी फैसले और रणनीति की कमी उनकी सबसे बड़ी गलतियां थीं।
– कंपनी का पैसा कहां गया?
रिपोर्ट के मुताबिक, पैसा पुराने कर्ज चुकाने, ग्रुप कंपनियों को देने, और इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट्स में घुमाने में खर्च हुआ।
– अब Reliance Communications का भविष्य क्या है?
फिलहाल कंपनी दिवालियापन प्रक्रिया (Insolvency) से गुजर रही है और इसके एसेट्स को बेचने की प्रक्रिया चल रही है।
Also read:-