गिरते हुए शेयर बाजार में निवेश करना लाभकारी हो सकता है, लेकिन यह आपके निवेश के लक्ष्यों, समय सीमा, और जोखिम सहने की क्षमता पर निर्भर करता है। बाजार में गिरावट का मतलब अक्सर यह होता है कि अच्छे शेयर आपको कम कीमत पर मिल सकते हैं, लेकिन इसका यह भी मतलब हो सकता है कि आगे और गिरावट हो सकती है।
गिरावट के समय, बहुत सारी अच्छी क्वालिटी की कंपनियों के शेयर उनकी वास्तविक कीमत से कम पर मिलते हैं। इसे निवेश की दुनिया में “बॉटम फिशिंग” कहते हैं। अगर आपने ऐसी कंपनियों में निवेश किया जिनके फंडामेंटल मजबूत हैं, तो बाजार के सुधार के साथ उनके शेयर की कीमत भी बढ़ेगी। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं जो आपको शेयर बाज़ार की इस गिरावट में निर्णय लेने में मदद करेंगे:-
गिरते बाजार में जोखिम और उससे निपटने के तरीके
1. बाजार क्यों गिर रहा है? कारण जानें:-
बाजार में गिरावट कई वजहों से होती है:
- Global Factors:
- युद्ध, आर्थिक मंदी, या किसी देश की खराब वित्तीय स्थिति।
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाना।
- Domestic Factors:
- भारत में महंगाई बढ़ना।
- सरकार की नई नीतियां जैसे टैक्स में बदलाव।
- कंपनियों की कमजोर प्रदर्शन रिपोर्ट।
- Sector Specific Issues: यदि किसी एक सेक्टर (जैसे IT, बैंकिंग) में समस्या हो, तो उसके शेयर गिर सकते हैं।
यदि बाजार अस्थायी कारणों से गिरा है और लंबे समय में इनमें सुधार की संभावना है, तो निवेश फायदेमंद हो सकता है।
2. एकसाथ बड़ा निवेश से बचें और SIP से करें निवेश:-
- अगर आपको डर है कि बाजार अभी और गिर सकता है, तो अपनी पूरी राशि एकसाथ निवेश करने से बचें।
- SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान): धीरे-धीरे हर महीने छोटी रकम लगाएँ। यह निवेश का औसत खर्च कम करता है और आपको बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है।
- उदाहरण: यदि ₹1,00,000 निवेश करना है, तो इसे 4-6 महीने की किस्तों में लगाएँ।
- यदि बाजार गिरता भी है, तो आपके बाद के निवेश कम कीमत पर होंगे, जिससे आपका निवेश की कुल औसत कम रहेगा।
3. सही शेयरों का चुनाव करें (Value Picking):-
गिरते बाजार में निवेश करते समय, यह समझना जरूरी है कि कौन-से शेयर खरीदने योग्य हैं:
- ब्लू-चिप कंपनियाँ: ये बड़े और स्थिर बिजनेस वाले शेयर होते हैं, जैसे TCS, HDFC, Reliance। इन पर गिरावट का असर सीमित होता है।
- डिविडेंड देने वाली कंपनियाँ: ऐसी कंपनियाँ नियमित रूप से मुनाफा बांटती हैं और बाजार गिरने पर भी अपेक्षाकृत सुरक्षित रहती हैं।
- कम कर्ज वाली कंपनियाँ: वे कंपनियाँ जो बिना अधिक लोन लिए मुनाफा कमा रही हैं।
“सस्ते शेयर” हर बार अच्छे निवेश का मौका नहीं होते। सिर्फ इसलिए कि किसी शेयर की कीमत गिर गई है, उसे खरीदना सही नहीं है। कंपनी के फंडामेंटल (बिजनेस मॉडल, प्रॉफिट, ग्रोथ) देखें।
4. अपनी जोखिम क्षमता को समझें:-
- केवल वही पैसा शेयर बाजार में लगाएँ, जिसे आप 3-5 साल तक बिना निकाले रख सकते हैं।
- यदि आप बाजार में गिरावट से घबराते हैं, तो अपने निवेश का एक हिस्सा सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट्स में रखें, जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, डेट फंड्स।
टाइमिंग और धैर्य: सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर
1. बाजार का सही समय चुनना (Timing the Market):-
बाजार का “नीचे का स्तर” (Bottom) पहचानना लगभग असंभव है।
- जब बाजार गिर रहा हो, तो उसे देखते हुए धीरे-धीरे निवेश करें।
- अगर आपको लगता है कि बाजार अभी और गिर सकता है, तो अपनी निवेश योजना को स्थगित करें, लेकिन पूरी तरह रुके नहीं।
2. धैर्य रखें (Be Patient)
- बाजार सुधार में समय ले सकता है। लेकिन अच्छी कंपनियों में किया गया निवेश अक्सर फलदायी होता है।
- लंबी अवधि में भारतीय बाजार ने हमेशा ग्रोथ दिखाई है।
उदाहरण:
- 2008 वित्तीय संकट: बाजार 50% से अधिक गिरा। लेकिन अगले 5 सालों में NIFTY ने डबल रिटर्न दिया।
- 2020 COVID संकट: मार्च 2020 में बाजार गिरा, लेकिन दिसंबर 2020 तक उसने अपनी सारी गिरावट रिकवर कर ली।
फाइनल गाइडेंस: कब निवेश करें और कब रुकें?
आपको अभी निवेश करना चाहिए अगर:
- आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं।
- आप बाजार की मौजूदा स्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं।
- आप SIP या स्टेज्ड इन्वेस्टमेंट के माध्यम से धीरे-धीरे निवेश कर सकते हैं।
आपको रुकना चाहिए अगर:
- आप शॉर्ट टर्म निवेशक हैं और जल्दी मुनाफा चाहते हैं।
- आपको बाजार के और गिरने की संभावना लग रही है।
- आपको अपने निवेश की रकम जल्दी चाहिए।
निष्कर्ष:
गिरता बाजार “चुनिंदा” निवेशकों के लिए अवसर की तरह होता है। अगर आप अच्छी रिसर्च करके किसी अच्लंछी कंपनीयों में बी अवधि की योजना बनाकर निवेश करें तो आपको आनेवाले कुछ सालों के अन्दर बहुत ही बेहतरीन रिटर्न मिल सकता हैं।