भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव ट्रेडिंग से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा के बाद, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई। बाजार खुलते ही BSE का शेयर 6% तक गिरकर ₹2500 तक पहुंच गया। यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और BSE के लिए अलग-अलग डेरिवेटिव्स एक्सपायरी दिन तय कर दिए हैं।
SEBI के नए नियमों के अनुसार, NSE की साप्ताहिक एफएंडओ (F&O) एक्सपायरी अब मंगलवार को और BSE की एक्सपायरी गुरुवार को होगी। पहले BSE को गुरुवार की एक्सपायरी का लाभ मिल रहा था, जिससे उसके ऑप्शंस वॉल्यूम में बढ़त देखी जा रही थी। लेकिन अब इस बदलाव से BSE की ट्रेडिंग वॉल्यूम में 5 से 10 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है।
BSE Share ब्रोकरेज फर्मों की राय
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) ने इस बदलाव के बाद BSE को “होल्ड” रेटिंग दी है। उन्होंने BSE के लिए ₹3900 का टारगेट प्राइस रखा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि शेयर में अभी भी लगभग 9% की तेजी की संभावना है। जेफरीज का मानना है कि हालांकि शुरुआत में असर नकारात्मक रहेगा, लेकिन लंबी अवधि में बीएसई अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकता है। खासकर लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट्स और कॉमन डेरिवेटिव्स सेगमेंट BSE की मदद कर सकते हैं।
वहीं, मोतीलाल ओसवाल ने FY26 और FY27 की आय के अनुमानों में क्रमशः 9% और 12% की कटौती की है। उन्होंने BSE की रेटिंग को “बाय” से घटाकर “न्यूट्रल” कर दिया है और टारगेट प्राइस ₹2533 से घटाकर ₹2300 कर दिया है।
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में भी FY26 की कमाई पर 8% का नेगेटिव असर बताया गया है। उन्होंने भी BSE के टारगेट प्राइस को ₹2490 से घटाकर ₹2430 कर दिया है।

BSE का पिछला प्रदर्शन
हालांकि हालिया गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन BSE का पिछला प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है। मार्च 2025 तिमाही में डेरिवेटिव सेगमेंट ने रिकॉर्ड टर्नओवर दर्ज किया था रोजाना प्रीमियम टर्नओवर ₹11,782 करोड़ रहा। 2025 की पहली छमाही में बीएसई का इक्विटी टर्नओवर ₹766 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष के ₹6622 करोड़ की तुलना में बड़ा सुधार है।
शेयरों के प्रदर्शन की बात करें तो पिछले 3 महीनों में BSE के शेयरों ने 102% की उछाल दिखाई है, जबकि एक साल में इसने करीब 200% और तीन साल में 1200% से भी ज्यादा का रिटर्न दिया है। सेंसेक्स डेरिवेटिव्स की बढ़ती लोकप्रियता और नए ग्राहकों की जुड़ने से भी कंपनी की स्थिति मजबूत हुई है।
निवेशकों के लिए सलाह
मौजूदा हालात में निवेशकों के लिए स्थिति थोड़ी असमंजस वाली है। अगर आपके पास BSE के शेयर हैं, तो विशेषज्ञ होल्ड की सलाह दे रहे हैं। नए निवेश की योजना बना रहे निवेशकों को थोड़ी सतर्कता बरतने की जरूरत है, जब तक कि कंपनी इस बदलाव के प्रभाव से उबर न जाए।
BSE के लिए यह एक कठिन दौर जरूर है, लेकिन इसका मजबूत फंडामेंटल और बीते समय का प्रदर्शन भरोसा दिलाता है कि कंपनी इस झटके से उबर सकती है। अगर कंपनी अपनी रणनीति में बदलाव कर नए ट्रेडिंग विकल्पों और कॉन्ट्रैक्ट्स को समय पर उतार पाती है, तो यह गिरावट अस्थायी साबित हो सकती है।
F.A.Q.
– SEBI के नए डेरिवेटिव ट्रेडिंग नियम क्या हैं?
सेबी ने साप्ताहिक डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी के लिए एक्सचेंजों को अलग-अलग दिन निर्धारित किया है। अब एनएसई की एक्सपायरी मंगलवार और बीएसई की एक्सपायरी गुरुवार को होगी।
– क्या नए नियमों से BSE को नुकसान होगा?
हां, एक्सपर्ट्स के अनुसार इस बदलाव से बीएसई के ऑप्शंस ट्रेडिंग वॉल्यूम में 5-10% तक गिरावट आ सकती है, जिससे कमाई पर भी असर पड़ सकता है।
– BSE का शेयर क्यों गिरा?
सेबी के इस फैसले के चलते निवेशकों में चिंता बढ़ी है, जिससे 18 जून 2025 को BSE का शेयर 6% तक गिर गया। यह गिरावट लगातार छठे दिन देखने को मिली।
– क्या BSE का शेयर अभी खरीदना चाहिए?
जेफरीज जैसी ब्रोकरेज फर्म ने ‘होल्ड’ रेटिंग दी है, यानी अभी न खरीदें और न बेचें। शेयर का लॉन्ग टर्म टारगेट ₹3900 बताया गया है।
– क्या BSE इस झटके से उबर पाएगा?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि शुरुआती असर जरूर होगा, लेकिन बीएसई की मजबूत पोजिशन और बढ़ते ग्राहक आधार से आने वाले समय में स्थिति सुधर सकती है।
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