एक दौर था जब Suzlon Energy भारत की सबसे परेशान रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों में से एक मानी जाती थी। भारी कर्ज, कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मुद्दे और घटती बाजार हिस्सेदारी ने इसे लगभग बर्बादी के कगार पर ला दिया था। लेकिन अब वही Suzlon एक अद्भुत वापसी कर चुकी है। न केवल कंपनी ने अपने कर्ज का बोझ उतार दिया है बल्कि अब मजबूत मुनाफे और नई ऑर्डर बुक के साथ निवेशकों को चौंका रही है। सवाल ये है कि क्या यह सुधार स्थायी है?

जबर्दस्त मुनाफा और कर्जमुक्त Suzlon
हाल की तिमाहियों में Suzlon के नतीजों ने सबका ध्यान खींचा। वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट ₹81 करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में बढ़कर ₹10181 करोड़ तक पहुंच गया। सालाना मुनाफा भी 722 करोड़ से बढ़कर 2720 करोड़ हो गया।
स्टॉक प्राइस की बात करें तो पिछले तीन सालों में इसका CAGR लगभग 120% रहा है। कभी ₹1.84 तक गिर चुका शेयर अब ₹65.50 पर कारोबार कर रहा है। इसका 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर ₹86 रहा।
सबसे बड़ी खबर यह है कि कंपनी अब पूरी तरह कर्जमुक्त हो चुकी है। एक दशक पहले जिस कंपनी पर ₹13,210 करोड़ का कर्ज था, वही अब वित्त वर्ष 2025 के अंत तक नेट डेब्ट-फ्री हो गई है। कंपनी के पास अब ₹683 करोड़ नकदी और केवल ₹323 करोड़ का अल्पकालिक उधार है।
निवेशकों का भरोसा लौटा
कर्ज चुकता करने के अलावा Suzlon को बड़ी राहत इस साल तब मिली जब SEBI ने 30 जून को उसके खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई बंद कर दी। इससे कंपनी के प्रति निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ।
इसके अलावा NTPC ग्रीन, Ampya और Torrent Power जैसे बड़े ग्राहकों से मिले ऑर्डर्स ने दिखा दिया कि बाजार में उसकी तकनीकी विशेषज्ञता पर दोबारा भरोसा जताया जा रहा है। वर्तमान में Suzlon की ऑर्डर बुक 1.5 गीगावाट से ज्यादा की क्षमता तक पहुँच चुकी है, जो भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत है।
सुधार के पीछे की वजहें
Suzlon की वापसी का श्रेय कई रणनीतिक कदमों को जाता है:
- ऑपरेटिंग मार्जिन 2022 के 14% से बढ़कर 2025 में 17% हो गया।
- प्रोजेक्ट्स की समय पर डिलीवरी।
- कम इनपुट कॉस्ट और बेहतर ऑपरेशनल एफिशिएंसी।
- नकदी प्रवाह में सुधार और ब्याज देनदारी का खत्म होना।
चुनौतियां अब भी बाकी
हालांकि कंपनी के लिए राह पूरी तरह आसान नहीं है। सप्लाई चेन में रुकावटें, तांबा और स्टील जैसी जरूरी सामग्रियों की कीमतों में बढ़ोतरी, और सौर ऊर्जा से बढ़ता प्रतिस्पर्धी दबाव अब भी उसके सामने बड़ी चुनौतियां हैं।
इसके अलावा, प्रमोटर टांटी परिवार द्वारा हाल ही में लगभग ₹1300 करोड़ की हिस्सेदारी बेचे जाने से कुछ निवेशकों में सवाल भी उठे। हालांकि अब तक इसका शेयर की कीमत पर कोई नकारात्मक असर नहीं दिखा।
भविष्य की राह
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 140 गीगावाट विंड एनर्जी स्थापित की जाए, जबकि अभी यह लगभग 47 गीगावाट है। इस लक्ष्य को देखते हुए Suzlon के पास बड़ी संभावनाएं हैं। ICICI Direct और Axis Securities का अनुमान है कि अगले 6-8 तिमाहियों में इसकी टॉपलाइन 20-25% CAGR की दर से बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
फिलहाल Suzlon ने वित्त वर्ष 2025 में एक जबर्दस्त वापसी की है। लेकिन आगे का सफर इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनी अपनी पारदर्शिता बनाए रखती है, सप्लाई चेन की चुनौतियों से निपटती है और बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना कैसे करती है।
अगर सब कुछ सही रहा तो Suzlon भविष्य में एक स्थिर मिड-लार्ज कैप कंपनी के रूप में नजर आ सकती है। लेकिन इसकी राह में अब भी कई मोड़ बाकी हैं।
F.A.Q.
– Suzlon Energy अब कर्जमुक्त कैसे हुई?
कंपनी ने बीते कुछ वर्षों में अपने प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा किया, ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाई और मुनाफे का इस्तेमाल कर्ज चुकाने में किया। वित्त वर्ष 2025 के अंत तक यह पूरी तरह नेट डेब्ट-फ्री हो चुकी है।
– Suzlon का मुनाफा अचानक इतना क्यों बढ़ा?
बेहतर ऑर्डर बुक, बढ़ी हुई ऑपरेटिंग मार्जिन, लागत में कमी और बाजार में दोबारा विश्वास से कंपनी का मुनाफा तेजी से बढ़ा। NTPC ग्रीन और अन्य से मिले ऑर्डर ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई।
– क्या Suzlon में अभी निवेश करना सही रहेगा?
कंपनी की वापसी सराहनीय है, लेकिन चुनौतियां अभी बाकी हैं। सप्लाई चेन, कीमतों में उतार-चढ़ाव और प्रतिस्पर्धा जैसे जोखिम मौजूद हैं। निवेश से पहले फंडामेंटल्स और जोखिमों का आंकलन करना जरूरी है।
– Suzlon का भविष्य कैसा दिख रहा है?
अगर कंपनी मौजूदा रफ्तार बनाए रखती है और ग्लोबल परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं तो यह आने वाले वर्षों में एक मजबूत मिड-लार्ज कैप बन सकती है। भारत के 2030 के विंड एनर्जी लक्ष्यों से इसे फायदा मिल सकता है।
– Suzlon का शेयर अब तक कितना बढ़ चुका है?
पिछले 3 सालों में Suzlon का शेयर लगभग 120% CAGR से बढ़ा है। ₹1.84 से अब यह ₹65 के आसपास कारोबार कर रहा है। इसका 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर ₹86 रहा है।
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