चीन और भारत के बीच हाल के वर्षों में भले ही सीमा विवाद और आर्थिक मोर्चे पर तनाव देखने को मिला हो, लेकिन दोनों देशों के बीच रिश्तों में अब थोड़ी राहत नजर आ रही है। इसी बीच एक अहम मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है: चीन का भारतीय शेयर बाजार में गुपचुप तरीके से निवेश। यह सवाल उठता है कि क्या चीन भारतीय बाजार को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रहा है?
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![चीन के करोड़ों के निवेश का राज़ क्या भारतीय बाजार पर संकट मंडरा रहा है](https://sharemarketin.com/wp-content/uploads/2024/12/चीन-के-करोड़ों-के-निवेश-का-राज़-क्या-भारतीय-बाजार-पर-संकट-मंडरा-रहा-है-1024x576.webp)
भारतीय शेयर बाजार पर चीन का निवेश नजर
भारतीय शेयर बाजार में चीन के केंद्रीय बैंक, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC), द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने भारत की कम से कम 35 सूचीबद्ध कंपनियों में पैसा लगाया है। इनमें प्रमुख नाम आईसीआईसीआई बैंक, टीसीएस और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बड़े ब्रांड्स शामिल हैं।
आईसीआईसीआई बैंक में लगभग 6,100 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। वहीं, टीसीएस में यह राशि 4,144 करोड़ रुपये और कोटक महिंद्रा बैंक में 3,361 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। इसके अलावा, अन्य कंपनियों में भी छोटे-बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है।
सरकार और रेगुलेटर्स की सतर्कता
भारत सरकार ने चीन के इस बड़े निवेश को लेकर सख्ती दिखाई है। प्रेस नोट 3 जारी कर यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी अनलिस्टेड भारतीय कंपनी में चीन का निवेश बिना सरकारी अनुमति के नहीं हो सकता। हालांकि, सूचीबद्ध कंपनियों में इस तरह के निवेश पर कोई सीधा प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
भारतीय बाजार नियामक, सेबी (SEBI), ने भी चीनी निवेशकों के एफपीआई (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स) रूट के दुरुपयोग की आशंका जताई है। इस संदर्भ में कंपनियों को अपने विदेशी निवेशकों की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया है। नियमों के अनुसार, किसी भी कंपनी में 1% से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले निवेशकों को अपनी पहचान उजागर करनी होती है।
चीन के निवेश के पीछे छिपा मकसद?
चीन का केंद्रीय बैंक जिस तरीके से भारतीय शेयर बाजार में सक्रिय हो रहा है, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक हो सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में धीमी गति के बीच यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या चीन भारतीय बाजार को प्रभावित करने का कोई बड़ा खेल खेल रहा है।
हालांकि, उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना का किसी भी भारतीय कंपनी में 1% से अधिक निवेश नहीं है। फिर भी, इतने बड़े पैमाने पर निवेश के पीछे की असल मंशा पर चर्चा जारी है।
बाजार और निवेशकों की चिंता
चीन के इस कदम से घरेलू निवेशक और कंपनियां सतर्क हो गई हैं। कई लोगों का मानना है कि यह निवेश भारतीय बाजार पर एक अप्रत्यक्ष दबाव बनाने की कोशिश हो सकती है। हालांकि, भारत सरकार और मार्केट रेगुलेटर्स द्वारा उठाए गए कदमों ने स्थिति को कुछ हद तक नियंत्रित किया है।
आगे का रास्ता
यह साफ है कि चीन के इस निवेश को हल्के में नहीं लिया जा सकता। आने वाले समय में, यह देखना होगा कि भारत सरकार और नियामक एजेंसियां इसे किस तरह से संभालती हैं। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि क्या भारतीय कंपनियां और निवेशक चीन के इस कदम से निपटने के लिए अपनी रणनीतियां तैयार करते हैं।
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