Sugar Stocks में गिरावट की घंटी: क्या है चीनी उद्योग की बड़ी चुनौती?

आज हम चर्चा करेंगे सुगर कंपनियों पर मंडरा रहे संकट के बारे में। भले ही इस साल मानसून अच्छा रहा और फसलें बेहतर हुईं, लेकिन चीनी उद्योग गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। अक्टूबर से दिसंबर तक चीनी उत्पादन में 17% की गिरावट देखी गई है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक में फैक्ट्रियों का संचालन देर से शुरू होने की वजह से उत्पादन में कमी आई है। इसी वजह से Sugar Stocks पर भी आनेवाले दिनों में गिरावट की संभावना बनी हुई है, आइए इसके बारे में बिस्तार से जानते है:-

Sugar Stocks में गिरावट की घंटी क्या है चीनी उद्योग की बड़ी चुनौती

Sugar की उत्पादन में गिरावट के कारण

इस साल चीनी उत्पादन में कमी का एक मुख्य कारण शुगर रिकवरी रेट में गिरावट है। जहां पिछली बार यह 8.72% था, इस बार 8.46% रह गया है। इसका अर्थ है कि गन्ने से चीनी प्राप्त करने की प्रक्रिया में अपेक्षित मात्रा में चीनी नहीं निकल रही।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, इस साल का चीनी उत्पादन 31.9 मिलियन टन से घटकर लगभग 28 मिलियन टन रहने का अनुमान है।

Sugar Stocks में गिरावट की आशंका

चीनी उत्पादन में कमी के संकट का असर चीनी कंपनियों के शेयर बाजार प्रदर्शन पर भी पड़ा है। Balrampur Chini Mills, Dhampur Sugar Mills, Dwarikesh Sugar Industries, Triveni Engineering and Industries और Mawana Sugar Mill जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में हाल के महीनों में बिक्री का दबाव देखा गया है। निवेशकों को इन कंपनियों के प्रदर्शन पर नजर बनाए रखनी चाहिए।

चीनी उद्योग के लिए यह साल चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। उत्पादन और निर्यात में गिरावट, साथ ही इथेनॉल डायवर्जन के लक्ष्यों को पूरा करने की दुविधा, कंपनियों के मुनाफे पर प्रभाव डाल सकती है, जिसका असर इन कंपनीयों के शेयरों में भी देखने को मिलनेवाला हैं। आने वाले समय में सरकार की नीतियां और बाजार की स्थिति इस संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

चीनी निर्यात पर असर

उत्पादन में कमी का सीधा असर चीनी निर्यात पर पड़ सकता है। सरकार को निर्यात नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। यदि उत्पादन कम रहता है, तो घरेलू बाजार में आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरकार को निर्यात सीमित करना पड़ सकता है। इस स्थिति में चीनी कंपनियों को निर्यात से होने वाले लाभ से वंचित रहना पड़ेगा, जिसके चलते कंपनीयों के सेल्स और प्रॉफिट में आनेवाले दिनों में गिरावट देखने को मिल सकता हैं।

इथेनॉल उत्पादन में चुनौती

दूसरी समस्या इथेनॉल उत्पादन से जुड़ी है। पिछले साल लगभग 2 मिलियन टन चीनी का डायवर्जन इथेनॉल के लिए किया गया था, जबकि इस साल यह लक्ष्य 4 मिलियन टन रखा गया है। यदि चीनी उत्पादन कम रहता है, तो कंपनियों को या तो इथेनॉल उत्पादन में कटौती करनी होगी या अपने मुनाफे में कमी झेलनी होगी।

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  • Manoj Talukdar

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