पिछले कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल मची हुई है। विदेशी निवेशक लगातार अपना पैसा भारतीय बाजार से निकाल रहे हैं, जिससे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली का सिलसिला
साल 2024 के अक्टूबर महीने से शुरू हुई विदेशी निवेशकों की बिकवाली अब तक जारी है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पांच महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग 37 बिलियन डॉलर की निकासी की है। केवल फरवरी 2025 में ही 3,574 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री हुई है, जो यह दर्शाता है कि विदेशी निवेशक भारत की बजाय अन्य बाजारों में निवेश करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
क्यों निवेशक भारत छोड़ रहे हैं?
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालकर कहां निवेश कर रहे हैं? इसका जवाब है – चीन। हाल के महीनों में विदेशी निवेशकों के बीच एक नया जुमला खूब प्रचलित हुआ है: “भारत में बेचो, चीन में खरीदो”। इस ट्रेंड का असर यह हुआ कि जहां भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं चीनी बाजार में भारी उछाल आया है।
चीन का आकर्षण: मजबूत वापसी और नीतिगत बदलाव
चीन की स्टॉक मार्केट ने हाल ही में जबरदस्त वापसी की है। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स मात्र एक महीने में 16% बढ़ गया है, जबकि भारत का निफ्टी 2% से ज्यादा गिर चुका है। विदेशी निवेशकों को चीन की कम वैल्यूएशन और मजबूत आय वृद्धि आकर्षित कर रही है।
कुछ प्रमुख चीनी कंपनियां, जैसे अलीबाबा और लेनोवो, हाल के महीनों में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। इसके अलावा, चीनी सरकार ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।
इन नीतियों में प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- टेलीकम्युनिकेशन और बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर में निवेश को आसान बनाना।
- विदेशी निवेश के लिए बाजार पहुंच का विस्तार करना।
- वित्तीय प्रतिबंधों को कम करना।
- निष्पक्ष व्यावसायिक वातावरण को बढ़ावा देने की नीति अपनाना।
इन सुधारों के चलते विदेशी निवेशक चीन की ओर आकर्षित हो रहे हैं और भारत की हिस्सेदारी घट रही है।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के कारण
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर भारतीय बाजार पर साफ दिख रहा है। अक्टूबर 2024 से अब तक भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक घट चुका है। इस गिरावट ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है।
भारतीय बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण:
- वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी के कारण विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं।
- जियोपॉलिटिकल तनाव: भारत और अन्य वैश्विक शक्तियों के बीच बढ़ते व्यापारिक तनावों का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ रहा है।
- घरेलू आर्थिक चुनौतियां: महंगाई और विकास दर से जुड़ी चिंताओं ने निवेशकों को सतर्क बना दिया है।
- चीन का उभरता बाजार: चीनी अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण विदेशी पूंजी तेजी से चीन की ओर प्रवाहित हो रही है।
क्या भारतीय बाजार अपनी चमक खो रहा है?
अब सवाल यह उठता है कि क्या भारतीय शेयर बाजार विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक हो गया है? क्या चीन और अमेरिका जैसे बड़े बाजार भारत को पीछे छोड़ चुके हैं?
वर्तमान परिदृश्य में भारतीय बाजार वैश्विक घटनाओं और नीतिगत फैसलों से प्रभावित हो रहा है। हालांकि, भारतीय बाजार की बुनियादी ताकतें अब भी मजबूत हैं। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए भारत अभी भी एक महत्वपूर्ण बाजार बना हुआ है।
आगे की राह: क्या बाजार संभलेगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय बाजार कब तक इस दबाव से उबर पाता है। कई विश्लेषकों का मानना है कि अगर घरेलू नीतिगत सुधारों को गति दी गई और निवेशकों का विश्वास बहाल किया गया, तो भारतीय शेयर बाजार फिर से मजबूती दिखा सकता है।
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