डॉ. मनमोहन सिंह, भारतीय अर्थव्यवस्था के महान सुधारक, ने 1991 से 1996 तक वित्तमंत्री रहते हुए देश को आर्थिक उदारीकरण की राह पर अग्रसर किया। उनके द्वारा लिए गए चार प्रमुख फैसलों ने न केवल शेयर बाजार की दिशा बदल दी बल्कि लाखों-करोड़ों निवेशकों के जीवन को भी प्रभावित किया। आइए, इन चार ऐतिहासिक निर्णयों और उनके प्रभावों को समझते हैं।
![कैसे मनमोहन सिंह ने बदली शेयर बाजार की किस्मत और पहुंचाया 80000 अंकों के शिखर तक](https://sharemarketin.com/wp-content/uploads/2024/12/कैसे-मनमोहन-सिंह-ने-बदली-शेयर-बाजार-की-किस्मत-और-पहुंचाया-80000-अंकों-के-शिखर-तक-1024x576.webp)
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1. विदेशी निवेशकों को बाजार में अनुमति
डॉ. सिंह ने विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय शेयर बाजार के दरवाजे खोल दिए। यह निर्णय न केवल विदेशी मुद्रा संकट को हल करने में सहायक बना बल्कि बाजार में दीर्घकालिक स्थिरता भी लाई। आज शेयर बाजार की कुल मार्केट कैप में करीब 17-18% का योगदान विदेशी निवेशकों का है। यह कदम भारतीय बाजार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मील का पत्थर साबित हुआ।
2. म्यूचुअल फंड उद्योग में निजी क्षेत्र की एंट्री
पहले म्यूचुअल फंड केवल सरकारी कंपनियों तक सीमित थे। डॉ. मनमोहन सिंह ने निजी क्षेत्र को इस उद्योग में प्रवेश करने की अनुमति दी। इसने म्यूचुअल फंड को एक प्रमुख निवेश विकल्प के रूप में स्थापित किया। आज, म्यूचुअल फंड उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 50 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। इस निर्णय ने म्यूचुअल फंड के माध्यम से छोटे निवेशकों को भी बाजार में भाग लेने का मौका दिया।
3. प्राइवेट बैंकिंग की शुरुआत
1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के बाद, भारत में बैंकिंग प्रणाली पर सरकार का एकाधिकार था। लेकिन डॉ. सिंह ने प्राइवेट बैंकों को लाइसेंस देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, और आईडीबीआई बैंक जैसे संस्थानों को अनुमति दी गई, जिन्होंने आज भारतीय वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन बैंकों ने न केवल शेयर बाजार में नई संभावनाएं पैदा कीं बल्कि देश की आर्थिक संरचना को भी मजबूत किया।
4. सेबी को कानूनी अधिकार और डीमैट अकाउंट का परिचय
शेयर बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को सशक्त किया गया। इससे घोटालों में कमी आई और निवेशकों का भरोसा बढ़ा। साथ ही, डीमैट अकाउंट का परिचय एक बड़ा बदलाव था। इससे पहले शेयर भौतिक रूप में होते थे, जो धोखाधड़ी और नुकसान के प्रति संवेदनशील थे। डीमैट प्रणाली ने शेयरों के लेन-देन को डिजिटल और सुरक्षित बना दिया।
भारतीय शेयर बाजार की उन्नति
1992 में सेंसेक्स 2,000 अंकों पर था, जो अब 80,000 अंकों के आसपास है। यह केवल 40 गुना वृद्धि नहीं है, बल्कि उन सुधारों की गहराई को दर्शाती है जो डॉ. सिंह ने अपने कार्यकाल में किए। आज, 14 करोड़ डीमैट खाते और निवेशकों का बढ़ता विश्वास उनकी दूरदर्शिता की साक्षी है।
डॉ. मनमोहन सिंह के ये चार सुधार भारतीय शेयर बाजार की नींव का आधार बने। उन्होंने न केवल बाजार को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाया बल्कि निवेशकों के लिए एक सुरक्षित और लाभप्रद माहौल भी तैयार किया। उनकी आर्थिक सुधार नीतियां आज भी भारतीय शेयर बाजार की सफलता के केंद्र में हैं।
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