दुनिया को चौंकाने वाला रिपोर्ट: भारतीय फार्मा उद्योग का आश्चर्यजनक बढ़ती गति में!

भारत को दुनिया का दवाखाना कहा जाता है क्योंकि यहाँ से दुनिया भर के मुल्कों को दवाओं का निर्यात किया जाता है। PLI स्कीम आने के बाद से देखा जाए तो फार्मा निर्यात में काफी अच्छी बढ़ोतरी होने लगी है, इसकी वजह से इस सेक्टर से जुड़ी कंपनयों में काफी अच्छी ग्रोथ देखने को मिल रहा हैं। आइए जानते है इस सेक्टर में आनेवाले दिनों में और कैसा पदर्शन रहनेवाला है:-

दुनिया को चौंकाने वाला रिपोर्ट भारतीय फार्मा उद्योग का आश्चर्यजनक बढ़ती गति में

फार्मास्यूटिकल निर्यात में बर्होतोरी

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में देश का दवा और फार्मास्यूटिकल निर्यात 9.67 फीसदी बढ़कर 27.9 अरब डॉलर हो गया है। 2022 में देश का फार्मा एक्सपोर्ट 3 फीसदी घट गया था और इस साल यह 25.4 अरब डॉलर रहा था।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बीते महीने यानी मार्च में फार्मा निर्यात 12.73 फीसदी बढ़कर 2.8 अरब डॉलर हो गया। दवा निर्यात के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील भारत के शीर्ष पांच बाजार हैं।

भारत के कुल फार्मा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 1 फीसदी से अधिक है। इसके बाद 3-3 फीसदी के साथ यूके और नीदरलैंड का नंबर आता है। जानकारों के मुताबिक, अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते मौकों और मांग में इजाफे के कारण हर महीने निर्यात में तेजी से बर्होतोरी हो रही है।

PLI से फार्मास्यूटिकल सेक्टर को फ़ायदा

भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है। इसमें 60 से अधिक थेरेपी कैटेगरी में 60000 जेनेरिक ड्रग्स का निर्माण किया जा रहा है।

PLI स्कीम के रोल आउट से डोमेस्टिक प्रोडक्शन बढ़ा है और साथ ही साथ मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी के बढ़ने के साथ हाई वैल्यू प्रोडक्ट्स ग्लोबल चेन में शामिल हो गए हैं।

नए मार्किट में अपने बिज़नस को बिस्तार

2023-24 में भारत के दवा निर्यात के लिए काफी खास रहा है क्योंकि बीते साल भारत ने कई नए देशों को फार्मा निर्यात किया है। नए बाजारों में शामिल हैं मोंटने ग्रो, दक्षिण सूडान, चाड, कोमोरोस, ब्रुनेई, लातविया, आयरलैंड, स्वीडन, और इथियोपिया। माना जाता है कि अब भारत के फार्मा सेक्टर को अगले कई सालों तक तेज रफ्तार से दौड़ने का मौका मिल सकता है।

इसकी वजह से भारत का फार्मास्यूटिकल कारोबार 2030 तक 130 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है। 2022 में भारत का फार्मा कारोबार 50 अरब डॉलर का था। इसकी वजह बाजार में विस्तार के लिए मिलते नए मौके और विदेशी बाजारों में बढ़ती मांग है।

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